Book Title: Jain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Author(s): H P Porwal
Publisher: Jain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १६ जिनगुणहीरपुष्पमाला सेवक मे हुं तुम्हरो, करुणा नजर निहारो; तुम विन सभी अंधेरा, दुनियामे नाम तेरा ॥ रस्ता हमे बतावे, बुरे पंथ से बचावे; वह ज्ञान विश्वव्यापी, भानु समान तेरा ॥ वल्लभ तिलक पामी, गुरु देवको नमामि मुक्तिमे हो बसेरा, दुनियामे नाम तेरा ॥ ( २१ ) ॥ जागृति ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only ३ ४ ५ ( गजल ) जागो ० १ जागो ने जैन बंधु, जागा है देश सारा. ॥ टेक ॥ करना समाज सेवा, तुम हो भुलाके बैठे; अब मंद हो रहा है, पुरुषार्थ यो तुम्हारा. । हा हो रही है हानी, तबसे समाज भरकी; कर्तव्य पथ से जबसे, तुमने किया किनारा. | जागो० २ निज स्वार्थमे न पडते, परमार्थतामे अडते; तो उन्नतिमे होता, जैनी समाज सारा. । वीरत्व लेश तुममे, कुछभी नही रहा क्या; जो इस तरह से तुमने, है आज मौन धारा । जागो ० ४ जागो ० ३

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49