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जिनगुणहीरपुष्पमाला
सेवक मे हुं तुम्हरो, करुणा नजर निहारो;
तुम विन सभी अंधेरा, दुनियामे नाम तेरा ॥ रस्ता हमे बतावे, बुरे पंथ से बचावे; वह ज्ञान विश्वव्यापी, भानु समान तेरा ॥ वल्लभ तिलक पामी, गुरु देवको नमामि मुक्तिमे हो बसेरा, दुनियामे नाम तेरा ॥
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॥ जागृति ॥
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( गजल )
जागो ० १
जागो ने जैन बंधु, जागा है देश सारा. ॥ टेक ॥ करना समाज सेवा, तुम हो भुलाके बैठे; अब मंद हो रहा है, पुरुषार्थ यो तुम्हारा. । हा हो रही है हानी, तबसे समाज भरकी; कर्तव्य पथ से जबसे, तुमने किया किनारा. | जागो० २ निज स्वार्थमे न पडते, परमार्थतामे अडते; तो उन्नतिमे होता, जैनी समाज सारा. । वीरत्व लेश तुममे, कुछभी नही रहा क्या; जो इस तरह से तुमने, है आज मौन धारा । जागो ० ४
जागो ० ३