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शुभकामना सन्देश
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दिनांक १२-६-१९७८
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स्वर्गीय जैन दिवाकर प्रसिद्ध वक्ता श्री चौथमलजी महाराज साहब का स्मृति-ग्रंथ प्रकाशित होने जा रहा है, जानकर हार्दिक सन्तोष हुआ। _____ चौथमलजी महाराज जैन के सच्चे दिवाकर थे, उनके ज्ञान की है किरणें झोंपड़ी से महलों तक पहुँची, वाणी के अद्भुत जादू ने वह कार्य । किया जो सत्ता अपने तलवार एवं धन के बल से नहीं कर सकी। पतितों को पावन बनाया, लाखों जीवों को अभयदान दिलाया, अपने त्याग-तप से अद्भुत कार्य कर जनता को एक नई दिशा दी । बिखरे हुए समाज को एकत्र करने का अथक प्रयास किया। उनके जीवन के आधोपान्त कार्य प्रत्येक प्राणी को अनुकरणीय हैं । इस स्मृति-ग्रन्थ के माध्यम से उनके जीवन की कृतियाँ प्रकाश में लाई जायें, जो कि भविष्य की पीढ़ी को प्रकाश-स्तम्भ का कार्य करती रहेंगी। इसी शुभकामना के साथ।
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-आचार्य आनन्द ऋषि
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