Book Title: Jain Dharm Darshan Part 03
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 21
________________ विराजमान रहकर मोक्ष पधारे, सौधर्म स्वर्ग के अधिपति इन्द्र आदि असंख्य देवों तथा भरत चक्रवर्ती आदि मानवों ने मिलकर भगवान ऋषभदेव तथा अन्य मुनियों का निर्वाण कल्याणक मनाया। * भगवान की शिष्य संपदा * गणधर :-84 साधु :- 84,000 साध्वी :- 3,00,000 श्रावक:-3,05,000 श्राविका :- 5,54,000 केवलज्ञानी :- 20,000 मनःपर्यवज्ञानी :- 12,750 अवधिज्ञानी :- 9,000 वैक्रिय लब्धिधारी :- 20,600 चतुर्दश पूर्वी :- 4,750 चर्चावादी :- 12,650 * एक झलक * माता :- मरुदेवा पिता :- नाभि नगरी :- विनीता (अयोध्या) वंश :- इक्ष्वाकु गोत्र :- काश्यप चिन्ह :- वृषभ वर्ण :- स्वर्ण शरीर ऊंचाई :- 500 धनुष यक्ष :- गोमुख यक्षिणी :- चक्केश्वरी कुमार काल :- 20 लाख पूर्व राज्यकाल :- 63 लाख पूर्व छद्मस्थ काल :- 1000 वर्ष कुल दीक्षा पर्याय :- 1 लाख पूर्व आयुष्य :- 84 लाख पूर्व केवली पर्याय :- 1 लाख पूर्व में एक एक हजार वर्ष कम * पंच कल्याणक * कल्याणक - तिथि स्थल नक्षत्र च्यवन :- आषाढ कृष्णा 4 सर्वार्थसिद्ध उत्तराषाढा जन्म :- चैत्र कृष्णा 8 अयोध्या उत्तराषाढा दीक्षा :- चैत्र कृष्णा 8 अयोध्या उत्तराषाढा केवलज्ञान :- फाल्गुण कृष्ण 11 पुरिमतालपुर उत्तराषाढा निर्वाण :- माघ कृष्ण 12 अष्टापद पर्वत अभिजित RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRE Homedicidititicitation rocersonnexuyagusetority 17 www.jainelibrary.org

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