Book Title: Jain Dharm Darshan Part 03
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 56
________________ IV. रात्री भोजन :- सूर्यास्त के पश्चात् दूसरे दिन सूर्योदय तक चार प्रहर की रात्रि मानी जाती है। उस समय किया गया भोजन रात्री भोजन कहलाता है। भगवान महावीर ने कहा है : "चउव्विहे वि माहोर राइ भोयणं वज्जणा" अर्थात् अन्न पान, खादिम और स्वादिम यह चार प्रकार के भोजन रात्रि के समय नहीं करना चाहिए। * रात्री भोजन त्याग के प्रबल कारण * सूर्यास्त के पश्चात् अनेक सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति होती है। उन्हें विद्युत प्रकाश में भी देखे नहीं जा सकता। ऐसे जीव भोजन में मिलकर नष्ट हो जाते हैं। * हमारा नाभिकमल सूर्योदय के साथ विकसित होता है, उसकी क्रियाशक्ति गतिशील होती है और सूर्य की रोशनी के अभाव में वह मुरझा जाता है तथा पाचन तंत्र भी कमजोर पड जाता है। अतः स्वास्थ्य और शारीरिक दृष्टि से रात्रीभोजन त्याज्य हैं * योगशास्त्र के तीसरे अध्याय में रात्रीभोजन के दोषों का वर्णन करते हुए कहा गया है कि रात के समय निरंकुश संचार करने वाले प्रेत-पिशाच आदि अन्न जूठा कर देते हैं, इसलिए सूर्यास्त के पश्चात् भोजन नही करना चाहिए। रात्रि में घोर अंधकार होने से अवरुद्ध शक्तिवाले नेत्रों से भोजन में गिरते हुए जीव दिखाई नहीं देते, अतः रात के समय भोजन नहीं करना चाहिए। रात्रिभोजन करने से होने वाले दोषों का वर्णन करते हुए कहा है कि जो दिन - रात खाता K रहता है, वह सचमुच स्पष्ट रुप से सींग और पूंछ रहित पशु ही है। जो लोग दिन के बदले रात को ही खाते हैं, वे मूर्ख मनुष्य सचमुच हीरे को छोडकर कांच को ग्रहण करते हैं। दिन के विद्यमान होते हुए भी जो अपने कल्याण की इच्छा से रात में भोजन करते हैं वे पानी के तालाब (उपजाऊ भूमि) को छोडकर ऊसर भूमि में बीज बोने जैसा काम करते हैं। अर्थात् मूर्खतापूर्ण काम करते हैं। रात्रि भोजन से अनेक हानियाँ रात्रि भोजन से जलोदर मच्छर से बुखार मकड़ी से कुष्ट रोग बिच्छू से तालुभेद ही पदार्थ में दस्त उल्टी बाल से स्वर भंग रात्रि भोजन का परलोक में फल तिच मक्खी से उल्टी सर्प विष से मृत्यु नरक चींटी से बुद्धि मंदना "छिपकली से गम्भीर स्थिति विशेष जंतु से कैंसर परलोक में विविध गति 51 रात्रि में भोजन करता है, वह अगले जन्म में उल्लू, कौआ, बिल्ली, गिद्ध, शंबर, सूअर, सर्प, बिच्छु, गोह आदि की निकृष्ट योनि में जन्म ग्रहण करता है। * रात को उड़नेवाले मच्छर आदि जीव भोजन में मिल जाने से हिंसा होती है। * रात्री भोजन से स्वास्थ्य बिडता है, अजीर्ण होता है, काम वासना जागृत होती है, प्रमाद व आलस्य बढता है, प्रांतः उठने का मन नहीं होता, रोग होते हैं। * विषैले जंतु की लार भोजन में आए तो मृत्यु हो जाती है। Private Use Only www.jainelibrary.org.

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