Book Title: Jain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan Author(s): Dilip Dhing Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 8
________________ .. परिच्छेद दो 104-108 परिच्छेद तीन 109-116 : पशुपालन * - दस श्रावकों का पशुधन - पशुपालन का उद्देश्य - दुग्ध और दुग्धोत्पाद - भारवाहक पशु - हाथी - भेड़, बकरी व ऊँट - मृत पशु की उपयोगिता : उद्यानिकी, वानिकी और खनन - फूल लताएँ - फल और वृक्ष - वानिकी और वनोत्पाद - धातुएँ - खनिज - मूल्यवान पत्थर - विभिन्न आभूषण : द्वितीयक उद्योग - मनुष्य की कलापियता और शिल्प - उद्योगों का वर्गीकरण - व्यवसाय, शिल्प और 72 कलाएँ - महिलाओं की 64 कलाएँ - मुख्य उद्योग - वस्त्र उद्योग - सूती वस्त्र - रेशमी वस्त्र - ऊनी वस्त्र - चर्म वस्त्र - अन्य वस्त्र - रंगाई उद्योग - तैयार वस्त्र उद्योग - प्रसिद्ध वस्त्र व्यवसाय केन्द्र - धातु उद्योग परिच्छेद चार 117-143 (vii)Page Navigation
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