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(xii)
प्राकृत शब्द
किया गया अर्थ
यथार्थ हिन्दी अर्थ
पत्र ३६
काइयामाइया कासमुद्रक करेडा रायण कुबुका संगत अंकबेदि आकडा
काकमाची कसौंदी भूखर्जूरी कूर्च, कारिका संघट्टा, कैवर्तिका अर्कमुखी, सूरजमुखी
पत्र ३६
इकडी
कायमाइया कासमदग करीर एरावण कुव्वकारिया संघट्ट अक्कबोंदि इक्कडे मासे य तउसिय एलवालुंकी सयपुप्पिंदरे बिल्ले य आमलग सयरी अक्कतुवरी
मांस
धमासा खीरा एलवालुका साग शतपुष्पी, कमल बिल्व, बेल आमला शतावरी आक, तुवरी
तंतुसिक एलची चीमडी शतपुष्पिं, दीवर बिल्ला इमली सश्री अक्टुम्बरी
पत्र ३५ पत्र ३६
पत्र ३७
* अनेक शब्द ऐसे हैं जिनके अर्थ का अनर्थ हो गया है। इक्कड का आकडा, मास का मांस, इंदीवर का दीवर,
सयरि का सश्री इसके उदाहरण हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ में* प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रारंभ में आगम का वनस्पति वाचक शब्द है। जो प्राकृत भाषा का है। जिस रूप में आगम में
उल्लिखित है उसे यथावत् दिया गया है। * उसके आगे कोष्ठक में तत्सम संस्कत रूप (छाया) दिया गया है * यदि प्राकृत शब्द संस्कृतेतर भाषा का है तो उसके लिए कोष्ठक खाली रखा गया है। * कोष्ठक के आगे हिन्दी भाषा का अर्थ दिया गया है। * निघंटुओं से प्राकृत का तत्सम संस्कृतरूप ही खोजा गया है। * जिस निघंटु में उसका रूप मिला उसे उद्धत किया गया है। * प्राकृत सम संस्कृत रूप निघंटुओं में न मिलने पर आयुर्वेद के कोशों में खोजा गया है। उसको कोश से उद्धत
किया गया है। * संस्कृत रूप के पर्यायवाची नाम दिए गए हैं। जिस निघंटु से श्लोक उद्धृत किया गया है उनका हिन्दी अर्थ
भी उसी निघंटु की भाषा में दिया गया है। * यदि संस्कृत रूप वनस्पति का गुणवाचक है और वह निघंटुओं में नहीं मिलता है तो उसके अर्थवाचक संस्कृत __ शब्द के पर्यायवाची नाम दिए गए हैं। जैसे महुसिंगी, महित्थ आदि। * जो शब्द संस्कतेतर भाषा का है उसके अर्थवाचक जो संस्कृत शब्द है उसके पर्यायवाची नाम दिए गए हैं। * संस्कृत के पर्यायवाची नाम यदि कोश से उद्धत किए गए हैं तो उनके केवल पयार्यवाची नाम ही दिए गए हैं, हिन्दी अर्थ नहीं।
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