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* जेल में मेरा जैनाभ्यास *
पास *
[प्रथम
हो ? तुम तो हाथी-घोड़ोंकी सवारी और उनका दौड़ाना जानने वाले हो। धर्म तो हमारे समान तपस्वी ही जानते हैं।' इसपर पार्श्वकुमारने अपने मनुष्योंसे कहा-'इस लकड़ी को धूनीमेंसे खींच लो और सावधानीसे उसे बीच से चीर कर उसके दो हिस्से करो।' मनुष्योंने वैसा ही किया तो उसमें से एक बड़ा साँप निकला । उसका शरीर भुलस चुका था ! यह देख कर कमठ बड़ा लज्जित हुआ और साथ ही क्रोधित भी हुआ। वह वहाँ तप करता रहा। बादको मृत्युको प्राप्त होकर एक प्रकारका देवता हुआ। ___एक समय पावकुमार प्रभावतीके साथ वनकी शोभा देखने निकले । वे घूमते-घूमते एक महलके सामने आये । पावकुमार
और प्रभावती उस महलके अन्दर आराम करने गये । महलके अन्दर अनेक प्रकारके सुन्दर चित्र लगे हुए थे। उन्हें देखते-देखते वे नेमिनाथकी बरातका दृश्य, जो वहाँ बना हुआ था, देखने लगे। इसपर पार्श्वकुमारको अपने जीवन के विषयमें विचार हुआ। इस घटनासे पार्श्वनाथका चित्त सांसारिक सुख-भोगसे अलग हो गया। उनका वैराग्य बढ़ता गया। वैराग्यके बाहरी चिह्न स्वरूप उन्होंने एक वर्ष तक सोनेकी मोहरोंका दान दिया। बादमें संसारको असार जान कर साधुपना धारण किया।
अब आप घूमते-फिरते एक दिन शहरके निकट एक तापस आश्रमके पास आये । संध्या हो चुकी थी और रात्रिके समय