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३१६ जेलमें मेरा जैनाभ्यास. तृतीय
शुक्लध्यानकी योग्यता और उसकी प्राप्ति शुक्लध्यान-अवस्था प्राप्त करनेकेलिये चित्तकी पूर्ण स्थिरता, आत्माकी अपरिमित शक्ति, वनऋषभनाराचसंहनन तथा स्थिर और अत्यन्त दृढ़ वैराग्य होना चाहिये । इस पञ्चम कालमें अर्थात वर्तमान समय में इन साधनोंका अभाव है। अतः जब तक ये साधन प्राप्त न हों, तब तक आगामी काल में प्राप्त करनेकी इच्छा रखते हुये शक्लध्यान की भावना भाना चाहिये ।
शक्लध्यानकी भावना भानेमें निम्नलिखित भावनाएँ अत्यन्त सहायता प्रदान करनेवाली हैं
१-यह शरीर अशुभ और अशुचि है।
२-संसारमें भ्रमण करना हुश्रा यह जीव अनन्त पुद्गल परावर्तन कर चुका है।
३-यह जगन अस्थिर है-विनश्वर है। ५-सम्पूर्ण पाप आत्माको हानि पहुँचानवाले हैं।
जीवको इन चार भावनाओंका मदा चिन्तन करते रहना चाहिये।
स्पष्टीकरण जो योगी चौरामी लक्ष जीवयोनिमें बचना चाहते हैं अर्थात् मुनिके इच्छुक हैं, उनकी मदा शुक्लध्यान में रमण करते रहना । चाहिये । जिन्होंने संमारकी समस्त पोद्गलिक वस्तुओंसे मोहका । त्याग कर दिया है और अपनी आत्माके असली स्वरूपको जान