Book Title: Jail me Mera Jainabhayasa Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 467
________________ - नम्बर प्रतर अचाई घन विस्तार ऊँचाई |अगनाई। संख्या | जघन्याय | उत्कृष्टायु | रमें रज्जूमें रूण्ड] - - - २ १३ ५००योजन २७०० ३२००००० पल्य १ | सागर २ - १६|| रज्जू २ १३ " २७०० २८००००० - साधिक पल्य १ ॥ सागर २ | सागर ७ - ६००योजन २६०० १२००००० - १० - .२ २६००८००००० साधिक )| साधितः ।। "गर २) सा * लाक अधिकारPage Navigation
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