Book Title: Jail me Mera Jainabhayasa
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 419
________________ खण्ड * नवतत्त्व अधिकार * १-सम्यक्त्वका धारण करना, २-व्रत-प्रत्याख्यानका करना, ३-प्रमादका त्याग करना, ४-कषाय नहीं करना, ५-- शुभ विचारोंका हृदय में संचार करना, ६-दया पालनी ७-सत्य बोलना, ८-बिना दी हुई वस्तु नहीं लनी,ह-ब्रह्मचर्यका पालन करना, १०-निर्ममत्व होना, ११-१२-१३-१४--१५श्रोत्र, चक्षु, घ्राण, रस और स्पर्श इन्द्रियका निग्रह करना, १६मनको वशमें रखना, १४-वचन और कायका निग्रह करना, १६-भण्डोपकरणोंको सावधानीसे लेना और सावधानीसे रखना और २०-सुई-कुशमात्र भी यत्नसे लेना और यत्न से रखना। संवरके सत्तावन भेद इस प्रकारसे हैं:-- - पाँच समिति, तीन गुमि, बाईस परिषह, दस यतिधर्म, बारह भावना और पाँच चारित्र । पाँच समितिः १--ईर्या समिति, २-भाषा समिति, ३-एषणा समिति, ४--प्रादाननिक्षेपणा समिति और ५--परिठावणीयाउत्सर्ग समिति । तीन गुप्तिः-- .. १-मनोगुप्ति, २-वचनगुप्ति और कायगुप्ति । बाईस परिषहः

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