Book Title: Jail me Mera Jainabhayasa
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 455
________________ खण्ड * लोक अधिकार * - नाम गोत्र पृथ्वी पिण्ड की गोलाई रक-यास २५०० घम्मा रत्नप्रभा १८०००० वंसा शर्करप्रभा | १३६००० सेला वालुप्रभा १२८००० अंजना पङ्कप्रभा १२०००० रिट्ठा धूमप्रभा । १८०००० मघा । तमःप्रभा ११६००० माघवी | तमस्तमः १०८००० ३००८ 8888 प्रभा प्रत्येक नरकके पृथ्वीपिण्डमेंसे एक और एक हजार योजन नीचे छोड़कर पाथड़े और अन्तरे हैं। सिवाय सातवें बावन हजार योजन ऊपर और साढ़े बावा. छोड़कर सिर्फ तीन हजार योजनकी पोल है। कि कुम्भियों और नेरिये ( नारकी ) हैं । उसका सफ़ेमें दिया जाता है । पाथड़ोंमें नरकवास हैं, जि कुम्भियाँ और असंख्यात नेरिये (नारकी ) है

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