Book Title: Jail me Mera Jainabhayasa
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 458
________________ * जेल में मेरा जैनाभ्यास * [तृतीय न प्रथम तीन नरकके नेरिये अम्बाम्बरीष जातिके देवोंसे पीड़ित और दुःखित किये जाते हैं । अनेक अज्ञानी पुरुष मेढ़ों, भैंसों, हाथियों र परस्पर लड़ाते हैं और उनकी हार-जीतसे राशा देखते हैं । उसी प्रकार तीसरे नरक - दुष्ट कौतुकी देव अवधिज्ञानसे उनके र परस्पर लड़ते तथा दुःखी व पीड़ित शा देखते हैं। जो बारह अन्तरे हैं, वे असंख्यात योजनके = ३ योजनके ऊँचे हैं। उनमेंसे ऊपरका एक रोड़ कर शेष दस अन्तरोंमें दस प्रकारके प्रकार के होते हैं: --- २ - नाग कुमार ३ – सुवर्ण कुमार ४ कुमार ६ - द्वीप कुमार ७- ७- उद्धि कुमार - वायु कुमार और १० - - स्तनित कुमार | के दो दो इन्द्र होते हैं। इस प्रकार बीस लाखों भवन हैं, जो छोटे से छोटे जम्बू द्वीप के ड़ उसंख्यात द्वीप समुद्रके समान है । खं सामाजिक और आत्मरक्षक देव दो (बड़ी) इन्द्रः णियाँ होती हैं और C

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