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* जेलमें मेरा जैनाभ्यास *
___“दरिद्री कौन है ? जिसकी तृष्णा बढ़ी हुई है। धनी कौन है ? जिसके पास सन्तोषरूपी धन है।" -शंकराचार्य ।
१-विश्वास-घात या छल सबसे बड़ा पाप है। २-लालच भारी अवगुण है। ३-सत्य तपसे श्रेष्ठ है। ४-पवित्रता और निदोषता यज्ञसे उत्तम है। ५-प्यार सहित उपकार सब गणों में शिरोमणि है। ६-गौरव या गम्भीरता सबसे बड़ी शोभा है। ७-बिना किसी सहायकके भी ज्ञानकी मदा जय है। -मरना लोक-अपमानसे अच्छा है।" -महाराज भर्तृहरि ।