Book Title: Jai Jiya Kappo
Author(s): Labhsagar
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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________________ शुद्धम् 30mm .1 स्थाप्येते भावी शुद्धिपत्रकम पृष्ठम् पङ्क्तिः अशुद्धम् | पृष्ठम् पक्तिः अशुद्धम् शुद्धम् 1 10 लेखचित्र लेखे चित्र 63 20 छग्गुरूअ छग्गुरू अ च्छिक च्छि अक 63 21 ति सङ्कल्पेनो ति सङ्कल्पे 3 21 अनिस्संके अ निस्संके . चतुर्गुरुकं तेन सङ्कल्पेनो 9 वाss चाss अनवरत अनवरतं कादिफं कादिकं मात्रण मात्रेण 1 वा . या अन्यस्मिन्नषि अन्यस्मिन्नपि तस्या तस्य 27. गइठाणाभास गइठाणभास अच्छति अच्छंति 28 कुड्डादस कुड्डदेस तथव तथैव 24 18 तिदडेणं तिदंडेणं भणित भणितं 30 15 स्थाप्यते धूपनम् धूपनम् 1/3 भावि दिद्वतो दिद्रुतो तपष्कारी तपःकारी मिर्दोष 49 14 चनं च तं 29 रजोहरण रजोहरणं 50. 6 ग छा गच्छा 31 शक्षादीनाम् शैक्षादीनाम् 50 23 नोदना कालाः नोदनाकालाः 103 3 तत्रवा तत्रैवो 51 22 मूल मुल 51 26 पशमि- पशमि बुध्यन्ते- बुध्यन्ते / 52. 15 हरण हरणं 117 स्तिष्टति स्तिष्पति 52 कोष्टके 2 तद्रुपाणामेव तद्रूपाणामेव 54. 12 ब्रूवते |120 जीवरूआईसु जीवरुआईसु 1 पणगाइ संगहो पणगाइसंगहो 120 जीवरूतं जीवरुतं लहुअस लहु अस अनुपाता अनुपाती 57 14 प्रादुष्यन्ति प्रादुःषन्ति 120 पात्तं पोत्तं 22 एव 141 तासां बद्धिपास बद्धि पास 142 दिवसेसु 60 21 चयस्य चर्यस्य 144 7 मित्येव- मित्येवं REE 555 * * * BF FREEEEEEEEEEEE * * * " 2 ' मिदारे 113 116 118 ब्रुवते 23 58 एवं त सां दिवसेषु

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