Book Title: Indian Antiquary Vol 12
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Swati Publications

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Page 272
________________ 244 THE INDIAN ANTIQUARY. [SEPTEMBER, 1883. Plate ID a. (') "अपारम्परगोबलिवई] अपुष्पक्षीरसन्दोह।] अवरा(') सनवागार[] अलवणक्लिन्नक्रेणिबनकः सर्ववेष्टिपरि(') हारपरिर्हतः सनिधिस्सोपनिधिः सक्लिप्तोपक्लिप्तः (') आचन्द्रादित्यकालीयः पुत्रपौवनुगमकः भुजतां न के. (३) नचिद्याघातं कर्त्तव्यस्स+कियाभिस्सरक्षितव्य: परवर्द्धयि(') तवश्व यश्चायं शासनमगणयमानो स्वल्पमपि रिबाधा Plate 17 6. (') कुत्किारयिता वा तस्य ब्राह्मणैर्वेदितस्य सदण्डनिग्रहं कुर्य्या(१) मः अस्मिंश्च धर्मावरकरणे अतीतानेकराजदत्तसञ्चिन्तन(२) परिपालनं कृतपुण्यानुकीर्तनपरिहारात्यं न कीर्तयामः (')" व्यासगीती चात्र श्लोकौ प्रमानीकर्तव्यो स्वदत्ताम्परदत्तां (१) व्वा यो हरेत वसुन्धरां गवां शतसहस्र हन्तु Plate Va. (') " हरति दुष्कृतं षष्टिवर्षसहस्रानि स्वर्गे मोदति भू(१) मिदः आच्छेत्ता चानुमन्ता च तान्येव नरके वसेदिति इशासन(२) स्थितिश्चयं ब्राह्मणैरीश्वरैश्वानुपालनीया तद्यथा राज्ञा स(') भाड़े राज्ये अह्रोहप्रवृत्तानां ब्रह्मघचोरपारदारिकराजा(१) पथ्यकारिप्रभृतीनां सङ्ग्रामकुर्वतां अन्यग्रामेष्वन Plate 6. (') "परद्वानां आचन्द्रादिस्यकालीयः अतोन्यथा कुर्वतामनुमोदताव्यो(') राज्ञः भूमिच्छेदं कुर्चतः अस्लेयमिति प्रातिग्राहिणश्वात्र(२) वारनियुत्ताः शाध्यायनः गणार्यः वात्स्यदेवार्यः भारद्वाज(1) कुमारशौर्य पारशर्यगुहशर्मा काश्यपदेवार्यः महेश्वर(२) मात्रार्य कौण्डिण्यरुद्रार्य सोमार्य हारशम्मा>> Plate VI a. (') "भारद्वाजकुमारआर्य कौण्डिण्यमातशर्मा वरशर्मा (१) गोण्डशा नागशर्मा भारद्वाशान्तिशर्मा रुद्रशा वात्स्यः (1) भोजकदेवार्य . मघशा देवशर्मा भारद्वाजमोक्षशर्मा नगशर्मा रेवतीशा धर्मार्य भारद्वाजशौर्य (१) नन्दनार्य मूलशर्मा ईश्वरशर्मा वरशर्मा HIVa, 1.1, rend 'वः, सन्दोहः 2.2, road अरः; the | "Va, 1. 1, road सहस्त्राणि. L.2, read शासन . L.4 Seoni plates (facsimile) aff r : which is for corrections required in this and the following lines, see notes to the translation. as corrupt as अलवण. L.3, road "परिहतः। सकृप्तीपक्प्त:- V. 1. 1, read °पराद्वानां; मोदितव्यो. L.2, road L.4, rand पौनानु भुनता.. L.5, read "व्याघातः; सर- प्रतिग्राहि . L. 3, read वारनियुक्ताः - L. 5, dele last क्षित परिव'. L. 6, read तव्यश्च यचेद मान: स्वल्पामापर्य' " VIa, I.2, read भारद्वाज, rine , first letter - Vb, 1, 4, read प्रमाणीक. gone.

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