Book Title: Historical Inscriptions Of Gujarat Part 02
Author(s): Girjashankar Vallabhji Acharya
Publisher: Farbas Gujarati Sabha
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श्रीधरनी देवपाटणप्रशस्ति
१०९
... ... ... ... ... ... ! ४८ [1]' चित्तवृति ... ... ... ... ... [1] ... ... ... मुनयो यथा ४९ [ ॥] वि ... ... ... ... र्गाः सतत विहित.... ... ... धूपोद्भूतधा .... ... [ 1 ] ... ... ... देते॥१०[0] ... ... [ कथाश्रयाय मठं वि ... ... [। ... ... ... ...
चेतः ॥ ५१ [ ॥] अथ क
... . .. थमवि दैवादागतः ... ... ... ... श्रीधरेण [1]
... ... जलधि ... .. [॥ ५२ ॥] .., भूपालकुलसद्गु... .. रु[1]... जीमूतवाहन ... ... [॥ ५३ ॥]" ... ...
... ... ... [1] ... ... पावनो यतिपति५३. ... ... ... यस्याहिपूजावि[ धिः ] ... ... ... ॥ ५४ [1]"
श्री ... दूरे पसरपरिणते ... ... ... ... क्षणिकमतमहाव्याल. ४. ... ... ... संरंभसिंधुः [1] ... ... ... ... ... ...
[तदादिविमलशिवमुनि आननीयो [ नवेंदुः ] ॥ ५५ [1] ... ... ... ...
... ... ... च पादप५५ ... ... ... औ [ । अंगीकृता ... ... ... ... ... ...
... [॥ ५६ ॥] ... ... ... ... ... [ निः शेषपाषंडिमृणालमंड:]
[भक्त्यास्य तुष्टः प्रतिपन्नदर्पः] [प्रशस्तिमेतामयमुद्दधार] ॥ ५७ [u]" यार. ५६ द्विष्णोरुरसि ... ... ... ... ... ... ... ... ... ।।
[ गवद्वाणी विहरनिवि ... ... ... ता ..... ... ... ॥ [५७ [m]"
[ एते ] ... ... वेन प्रासादाः ४७ ... ... ... सूत्रिताः शुभाः । लिखि... ... ... ...[॥१०॥]
श्रीमद्विक्रमनृपसंवत् १२७३ वर्षे वैशाख शुदि ४ शुक्रे निःषा ]दितमितिशिवमस्तु ॥ छ । मंगलं महाश्रीः ।।
१४६, अनुटुल- पक्षा नि0 श३मात- आद्योदयाः कपिसुंधा वैशे-(4. 1. सी.) २ ७४, मनुष्टुम् ३७६, मालिनी-विभवा; भ्यवर्गाः घारान--(प.. मे.) ४१, त्रिष्टुभ् एषां सुसिद्धाय कक्षा श्रयाय मठं विधाय स्वपदेन वक्ता-(प. प. सौ.) ५ गतः (श्रीनिवासी ); प्रतिनृपतिमतं यः पंडितमन्य-(वीg ५।६) मिवजलधि ६ ७६, अनुष्टुम् ; ७ ७६, शाईसविडित ---...--- दधिपरि --- सचिवः सुधी यद्विधा -- -- --- +तोजित-- (प.प. ) , सपश- दलदार, क्षणितमत,--(.. .) & तिस-बीस्य च पादपद्यो-(...) १.७, ५१. पायाने मन्ते प्रभूल (4. सी.) 114tttit-विहरति विधुवक्तृपिडांतरालेवा --- वलयमखिलं गंऽयती यमस्य- व.ग.मी.)
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