________________ हस्तिकुण्डी की ऐतिहासिक सामग्री-१७ सभी 'तीर्थमालाओं में इस मन्दिर को महावीर का मन्दिर कहा गया है एवं १३वीं शताब्दी से अद्यावधि प्राप्त सभी तीर्थमालाओं' में ये ही तथ्य प्राप्त होते हैं कि यह मन्दिर राता महावीर (लालवर्ण) का था रातो वीर पुरि मननी प्रास / अर्थात् लाल वर्ण के महावीर मेरे मन की आशा पूरी करें .. शीलविजय। जिनतिलकसूरि जी ने अपनी तोर्थमाला में हथंडी में महावीर भगवान के मन्दिर का उल्लेख किया है। लावण्यसमयजी (संवत् 1521-1590) ने विक्रमी संवत् 1586 में बलिभद्र (वासुदेवसूरि) रास में लिखा है : हस्तिकुण्डी एहवउ अभिधान थापिऊ गच्छपति प्रगट प्रधान. 120 महावीर केरइ प्रासादि वाजइ भूगल भेरी नाद / / अर्थात् गच्छपति वासुदेवाचार्य (बलिभद्रसरि) ने विदग्धराज के समय हस्तिकुण्डी तीर्थ की स्थापना की थी। उसी हस्तिकुण्डी के महावीर मन्दिर में प्राज गाजे-बाजे के साथ उत्सव हुअा है। हस्तिकुण्डी एहवउ अभिधान थापिऊ का अर्थ यह नहीं है कि हस्तिकुण्डी में भगवान महावीर का मन्दिर बनाया; इसका अर्थ है हस्तिकुण्डी ऐसा नाम रखा / यह मन्दिर उस समय महावीर का था तभी तो केवल उत्सव का ही वर्णन हुआ है कि महावीर के मन्दिर में भूगल-भेरी नाद हो रहा है।