________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-५० नीचे गिर पड़ा पर मूर्ति बाल-बाल बच गई। यह शुभ लक्षण था। मन्दिर का प्राचीनता को कायम रखते हुए उसे नया रूप देने में बीजापुर के श्रीसंघ के सहयोग से दो धर्मनिष्ठ व्यक्तियों ने बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इनके नाम हैं सर्व श्री जवेरचन्दजी चन्दुलालजी एवं हजारीमलजी चन्द्रभारणजी / इन दोनों सज्जनों ने बीजापुर के तत्कालीन धर्मप्रिय ठाकुर साहब श्री जोगसिंहजो एवं उनके पुत्र देवीसिंहजी से अच्छा सहयोग प्राप्त किया। ये दोनों श्रावक-बन्धु इतिहासप्रेमी रहे हैं एवं इन्होंने समय-समय पर हस्तिकुण्डी विषयक लेख 'सेवा समाज' आदि पत्र-पत्रिकाओं में लिखे हैं। इन्होंने मन्दिर के विषय में जो सामग्री संगृहीत की थी मैंने उसका उपयोग किया है / मैं एतदर्थ इनका आभारी हूँ और इन्हें साधुवाद देता हूँ। बीजापुर-निवासियों ने माघ सुदी 10 संवत् 1968 तदनुसार 27-1-42 के दिन बम्बई में मन्दिरजी के जीर्णोद्धार के लिए एक समिति बनाई थी जिसके निम्नलिखित सदस्य थे१. शाह जवेरचन्दजी चन्दुलालजी ( चन्दुलाल खुशाल चन्दजी जवेरी ), बीजापुर 2. शाह हजारोमलजी किशनाजी 3. शाह हीराचन्दजी चन्दाजी 4. शाह ताराचन्दजी कुपाजी 5. शाह हजारीमलजी भेराजी 6 शाह प्रेमचन्दजी गोमाजी, बाली 7. शाह जवेरचन्दजी उमाजी 8. शाह जुहारमलजी प्रतापजी 6. शाह उम्मेदमलजी हिम्मतमलजी