Book Title: Hastikundi Ka Itihas
Author(s): Sohanlal Patni
Publisher: Ratamahavir Tirth Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ वि. सं. 2006 की प्रतिष्ठा-५३ यहाँ प्रतिष्ठादि का शुभ कार्य विधिवत् सम्पन्न कर गुरुदेव ने गोड़वाड़ श्रीसङ्घ की विनती पर श्री जैन श्वेताम्बर कान्फ्रेंस के अधिवेशन में सम्मिलित होने के लिए फालना की तरफ विहार किया। विक्रमी संवत् 2026 में आचार्य विजयसमुद्रसूरीश्वरजी महाराज का चातुर्मास लुणावा नगर में था। बीजापुर श्रीसंघ ने गुरुदेव से विनती की कि राता महावीरजी में अभिषेक एवं अष्टोत्तरी महोत्सव का मंगल कार्य करवाना है। प्राचार्यदेव ने बीजापुर श्रीसंघ की विनती स्वीकार की। मिति मार्गशीर्ष कृष्णा 4 को गुरु महाराज बीजापुर पधारे। उनके साथ मरुधररत्न मुनि महाराज श्री वल्लभदत्तविजयजी, पंन्यासजी श्री जयविजयजी पंजाबी, पंन्यासजी न्यायविजयजी, पू. मुनिराज श्री वसन्तविजयजी, शान्तिविजयजी, पद्मविजयजी, नवचन्द्रविजयजी, अनेकांतविजयजी, जयानन्दविजयजी, धर्मधुरंविजयजी, नित्यानन्दविजयजी आदि मुनिमण्डल था / इस अवसर पर साध्वीजी श्रीप्रभाश्रीजी, सुभद्राश्रीजी,कनकप्रभाश्रीजी, प्रवीणश्रीजी, चिंतामणिश्रीजी, चिदानन्दश्रीजी आदि साध्वी समुदाय भी साथ था। प्राचार्य श्रीमविजयजम्बूसूरिजी का चातुर्मास उस समय सेवाड़ी नगर में था। श्रीसंघ ने उनसे भी विनती की। वे भी राता महावीरजी पधारे। मिति मार्गशीर्ष कृष्णा 5 विक्रमी संवत् 2026 को अष्टोत्तरी महोत्सव का शुभारम्भ हुआ। आठों दिन खूब धूमधाम से महोत्सव हुआ। अन्तिम दिन अभिषेक महोत्सव हुप्रा / इसी दिन गुरु-मन्दिर में श्रीमद् विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराज की (गुरु) प्रतिमा की

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134