________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-८८ पंचों तथा सज्जन हेमा ने हयूडी गाँव में महावीर भगवान की नेचार्थ प्रति वर्ष 24 द्रम का दान किया / बहुभिर्वसुधा....... तस्य तस्य तत्फलम् / / पहले अर्थ दिया जा चुका है। कृष्णविजय ने यह . प्रशस्ति लिखी। शिलालेख 322 संवत् 1346 ॐ नमो वीतरागाय / संवत् 1346 वर्षे श्रावरण वदि 3 शुक्र दिन बहेड़ा ग्रामे महाद्याल सा.. राव कर्मसिंह (लेख अधूरा है) शिलालेख 321 वि. सं. 1266 ॐ सं. 1266 वर्षे चेत सुदी 11 शुक्रे श्री रत्नप्रभोपाध्यायशिष्यः श्री पूर्णचन्द्रोपाध्यायरालकद्वयं शिखरारिण च कारितानि सर्वारिण। सं. 1266 के चेत सुदी 11 शुक्रवार को श्री रत्नप्रभोपाध्याय के शिष्य श्री पूर्णचन्द्र उपाध्याय ने दो आले व सभी शिखर निर्मित करवाये।