Book Title: Hastikundi Ka Itihas
Author(s): Sohanlal Patni
Publisher: Ratamahavir Tirth Samiti

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Page 118
________________ शिलालेख-६७ (असल री नकल) ॥श्री। महावीरजी रा पटा री श्री परमेश्वरजी सहाय छे स्वरूप श्री अनेक सकल शुभ ओपमान् ठाकरां राज श्री जोगसिंहजी कंवरजी श्री देवीसिंहजी देव बचनापत राजस्थान गांव बीजापुर जोग दीसे तथा सेठजी श्री माणेकलालजी चुन्नीलालजी वासी अहमदाबाद हाल बम्बई वाला ने पटो 1 मौजा बीजापुर खास री सरहद में इण मुजब कर दीनों तथा महावीर स्वामीजी रे मन्दिर कने धर्मशाला व बगेचो वणावण सारू कर दीनो जीणरे जमीन री वीगत नीचे मुजब है मन्दिर श्री महावीर स्वामीजी रे सांमी यांने मुडा आगे जमीन उगुणी प्राथुणी वो उतराही दीखरणा ही लम्बी चौड़ी बीघा 4 चार धर्मशाला वणावण सारु महावीरजी कनली वाव 1 जो पकी बंदीयोड़ी है तीको वाव वो इणरे कने जमीन लम्बी चवडी बीघा 3 तीन बगेचो लगावण सारु ऊपर मुजिब जमीन वो वाव रो पटो थाने कर दीनो है ने इणरे सुकराणा रो रु. 11) अखरे रु. सवा थांरा कनासु लेय लीनो है अब इण जमीन ऊपर जो थारी इमारत वगेरे वणावसो वो बगेचो वगेरे लगावसो जीणरे जो आमदनी वगेरा होसी जीणरो ठिकाणा सु कोई खेचल नहीं होसी जो जमा खातर राखसी और अठे जो मेलो वगेरा भरीजसी वो जीमण वगेरे होवसी तरे आपरी हदुद रे बारे जो दुकानों वगेरे लागसी जीरणरो लगान सदामद मुजब ठिकाणा लेसी और आपरे पटा सुद जमीन में ठिकाणा री तरफ सु कोई खेचल नहीं की जावसी तीणरो उपर मुजब पटो थांने कर दीनो है सो सई है लीखावट रा दा. मुता संवतराज बेटा गणेसराजजीरा जात रा भंसाली ठिकाणा खेतर पाली चांतरा.वाला री है श्री ठाकुर सहाब रे हुकम सु लीखने बचा दीयी छे फक्त ता० 7.2-40 / Jog Singh Chief of Bijapur

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