________________ हस्ति कुण्डी के प्राचार्य-२३ करवाई। आपकी प्रेरणा से निर्मित इन मन्दिरों में दो मन्दिर बहुत प्रसिद्ध थे—एक मथुरा का महावीर मन्दिर एवं दूसरा हस्तिकुण्डी का मन्दिर / मथुरा के मन्दिर का निर्माता यशोदेव श्रेष्ठो था तथा हस्तिकुण्डी के मन्दिर का निर्माता वीरदेव श्रेष्ठी था। प्राचार्य कक्कसूरिजी सप्तम (558 वि. से 601 वि.) पार्श्वनाथ भगवान की पाट-परम्परा में (छत्तीसवें) आचार्य श्री कक्कसूरिजी सप्तम हुए। आपका जन्म-नाम विमल था। आपके पिता का नाम करमण एवं माता का नाम मैनादेवी था। आप मेदिनीपुर के निवासी थे। आपने सिद्धसूरिजी षष्ठ (छठे) से दीक्षा अङ्गीकार की थी। आपने हस्तिकुण्डी तीर्थ के दर्शन किए थे तथा यहाँ के प्राग्वाटवंशीय पाता को दीक्षा दी थी। प्राचार्य देवगुप्तसूरिजी सप्तम (601 वि. से 628 वि.) पार्श्वनाथ भगवान के सैंतीसवें पाट पर आप प्राचार्य रूप में प्रतिष्ठित थे। आपने वि. सं. 612 व 623 के भयङ्कर दुष्काल में मारवाड़ के इस प्रदेश में पशुओं के लिए चारे, पानी एवं मनुष्यों के लिए अनाज की व्यवस्था करवाई थी। हस्तिकुण्डो में आप पधारते रहते थे एवं आपके सदुपदेश से हस्तिकुण्डी के श्रीमालगोत्रीय अोटा ने धर्मार्थ बहुत काम किए। प्राचार्य कक्कसूरिजी अष्टम (660 वि.से 680 वि.) आप पार्श्वनाथ भगवान के २६वें पाट पर प्रतिष्ठित थे। आपके सदुपदेश से हथूडी (हस्तिकुण्डी) के मोरख गोत्रीय ऊहड़ ने दीक्षा ग्रहण को थी।