________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-३४ शान्तिभद्राचार्य (शालिभद्रसूरि). ये यशोभद्रसूरिजी के शिष्य थे एवं वासुदेवसूरि के प्रतिद्वंद्वी। पाहड़ के प्रयत्न से वासुदेवसूरि एवं शालिभद्रसूरि में समझौता हो गया था। शान्त्याचार्य ___ इन्होंने विक्रमी सं. 1053 में ऋषभदेव भगवान की मूर्ति की स्थापना एवं मन्दिर की प्रतिष्ठा करवाई थी। सूर्याचार्य सूर्याचार्य ने 1053 वि. की धवलराज व हस्तिकुण्डी तीर्थ की प्रशस्ति लिखी। कृष्णविजय कृष्णविजय के विषय में कुछ अधिक ज्ञात नहीं है। बस, इतनी ही जानकारी मिलती है कि इन्होंने शिलालेख सं. 320 लिखा। उपर्युक्त प्रसिद्ध आचार्यों के अतिरिक्त श्री रत्नप्रभोपाध्याय, श्री पूर्णचन्द्रोपाध्याय, श्री पार्श्व नाग और श्री सुमनहस्ति प्रभृति साधुओं ने भी राता महावीरजी के लिए कार्य किया। 1296 वि. में श्री रत्नप्रभोपाध्याय के शिष्य पूर्णचन्द्र उपाध्यायजी ने मन्दिरजी में शिखर वं दो आले बनवाए। चूकि शिलालेख सं. 3 सं. 1122 मार्गशीर्ष सुदी 13 अधूरा है अतः