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अभ्यास के प्रश्न प्रश्न १ - रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
(क) मंदिर विधि का प्रारंभ.............से किया जाता है। (ख) अपने गुणों में आचरण करना ही.............है। (ग) स्वसमय शुद्धात्मा.............से प्रमाण है।
(घ) दशधर्मों का आचरण.............के आश्रय से होता है। प्रश्न २- सत्य/असत्य कथन चुनिये
१. ॐकार सबके मूल में है। (सत्य/असत्य) २. भवणालय चालीसा, व्यंतर देवाणि होति छत्तीसा। (सत्य/असत्य) ३. अर्हता छय्याला, सिद्धं पंचामि सूरि बत्तीसा। (सत्य/असत्य) । ४. सत्तर लाख करोड़ और छप्पन हजार करोड़ वर्ष को मिलाने पर जो योग आता है वह एक पूर्व
की संख्या है। (सत्य/असत्य) ५. लोकांतिक देव बाल ब्रम्हचारी, एक भवावतारी, पाँचवे ब्रह्म स्वर्ग के निवासी होते है।
(सत्य/असत्य) प्रश्न ३-लघुउत्तरीय प्रश्न ।
(अ) समवशरण की रचना का वर्णन मंदिर विधि में किस तरह किया है ? बताइये। उत्तर - तीर्थंकरों के केवल कल्याणक के निमित्त इन्द्र अड़तालीस कोस के गिरदाकार में समवशरण
की रचना करते हैं। साढ़े बारह करोड़ वाद्य यंत्र बजते हैं। ऐसे महोत्सव पूर्व समवशरण में भगवान की दिव्य ध्वनि खिरती है, वे भव्य जीवों को धर्मोपदेश देते हैं। ऐसे दिव्य उपदेशों को समवशरण के मध्य बारह कोठों में बैठे हुए असंख्य देव, मनुष्य, पशु सुनते हैं। अपने कल्याण का मार्ग ग्रहण करते हैं। इन्द्र और चतुर्विध संघ इन्द्र ध्वज पूजा, देवांगली पूजा पढ़कर जय
जयकार करते हैं।
(ब) दशलक्षण धर्मों का सार सिद्धांत लिखिये। उत्तर - १. उत्तम क्षमा- क्रोध कषाय का अभाव। २. उत्तम मार्दव - ज्ञानादि आठ मदों का अभाव ।
३. उत्तम आर्जव - माया कषाय रूप कुटिलता का अभाव । ४. उत्तम सत्य - झूठ पाप का अभाव ५. उत्तम शौच - लोभ कषाय का अभाव शुचिता की प्रगटता। ६. उत्तम संयम-हिंसा पाप का अभाव, इन्द्रिय संयम, जीवरक्षा। ७. उत्तम तप-इच्छाओं का निरोध । १२ तप का पालन, रागादि भावों का परिहार। ८. उत्तम त्याग-चोरी पाप रागादि भाव का त्याग, चार दान देना। ९. उत्तम आकिंचन्य चौबीस परिग्रह का त्याग। १०. उत्तम ब्रह्मचर्य-कुशील पाप एवं
२७ इन्द्रिय विषयों पर विजय, ब्रह्मस्वरूप में चर्या । (स) विदेह क्षेत्र के बीस तीर्थंकरों के नाम लिखिये। (उत्तर स्वयं लिखें।) (द) त्रिक किसे कहते हैं और कौन - कौन से होते हैं? नाम बताइये। (उत्तर स्वयं लिखें।)