Book Title: Gyanpushpa
Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada

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Page 167
________________ प्रथम अध्याय द्रव्य-गुण- पर्याय (दोहा) द्रव्य - गुण - पर्याय का, जो नित होवे ज्ञान । शीघ्र मिले सम्यक्त्व पद, पावे पद निर्वाण || १.१ द्रव्य और गुण प्रश्न ००१- द्रव्य किसे कहते हैं? उत्तर - गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं। (प्रश्न - विश्व किसे कहते हैं? उत्तर - छह द्रव्यों के समूह को विश्व कहते हैं।) (-लघु जैन सिद्धांत प्रवेशिका, प्रश्न १) प्रश्न ००२- गुण किसे कहते हैं? उत्तर - जो द्रव्य के सम्पूर्ण भागों और उसकी सर्व अवस्थाओं में रहते हैं उन्हें गुण कहते हैं। प्रश्न ००३ - गुण के कितने भेद हैं? उत्तर - गुण के दो भेद हैं - सामान्य और विशेष । द्रव्य सामान्य गुण जिस शक्ति के काप य में अर्थ अबका कभी बाधित हो किया काशिव प्रबार जिस शक्ति के कारण प एक सा नहीं रहता व किसी न किसी समयपना ज्ञान का विय काम रहना जीव द्वन्य-ज्ञान, वर्शन पुणल-म्पर्शा, रस, गंध, वर्ण धर्म-अतिहेतुत्व अधर्म-स्थिति हेतुत्व आवामाप्रश्न ००४ - सामान्यगुण किसे कहते हैं? उत्तर - जो सब द्रव्यों में समानरूप से रहते हैं उन्हें सामान्यगुण कहते हैं। प्रश्न ००५- विशेषगुण किसे कहते हैं ? उत्तर - जो सब द्रव्यों में न रहकर अपने-अपने द्रव्य में रहते हैं उन्हें विशेषगुण कहते हैं। प्रश्न ००६- सामान्यगुण कितने हैं? उत्तर - सामान्यगुण अनेक हैं, लेकिन उनमें छह मुख्य हैं। जैसे-अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व और प्रदेशत्व गुण । प्रश्न ००७- अस्तित्वगुण किसे कहते हैं? उत्तर - जिस शक्ति के कारण द्रव्य का कभी नाश नहीं होता है उसे अस्तित्वगुण कहते हैं। प्रश्न ००८- वस्तुत्वगुण किसे कहते हैं? उत्तर - जिस शक्ति के कारण द्रव्य में अर्थक्रिया होती है उसे वस्तुत्वगुण कहते हैं। जैसे-घड़े की अर्थक्रिया जल धारण करना है।

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