Book Title: Gyanpushpa
Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada

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Page 188
________________ समचतुरस करीर ऊपर नीचे मध्य में सम शाम हो प्रश्न १७८उत्तर - - वजवृषभ - - - प्रश्न १८३ उत्तर प्रश्न १७९ - स्वाति संस्थान किसे कहते हैं ? उत्तर व्यशोध - वट वृक्षवत् नाभि के नीचे के अंग छोटे एवं ऊपर के बड़े हों वज के हाइ बैठन व कीलियाँ स्वाति प्रश्न १८० कुब्जक संस्थान किसे कहते हैं ? उत्तर जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर कुबड़ा होता है उसे कुब्जक संस्थान कहते हैं। प्रश्न १८१- वामन संस्थान किसे कहते हैं ? उत्तर जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर बौना होता है उसे वामन संस्थान कहते हैं । प्रश्न १८२- हुण्डक संस्थान किसे कहते हैं ? उत्तर जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर के अंगोपांग विषम आकृतिवाले हुण्ड के समान होते हैं अर्थात् किसी खास आकृतिवाले नहीं होते हैं उसे हुण्डक संस्थान कहते हैं। संहनन नाम कर्म किसे कहते हैं ? जिस कर्म के उदय से शरीर की हड्डियों का बन्धन विशेष होता है उसे संहनन नाम कर्म कहते हैं । संहनन संस्थान ↓ सर्प की बाँबीत् ऊपर के अंग छोटे एवं नीचे के कड़े हों व्रजनाराच सुन्दर मूर्ति के समान ऊपर, नीचे तथा बीच में समभाग या समानुपात में होती है उसे समचतुरस्र संस्थान कहते हैं। न्यग्रोधपरिमण्डल संस्थान किसे कहते हैं ? बज के हाड़ व कीली हो जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर वटवृक्ष की तरह होता है अर्थात् जिसके नाभि से नीचे के अंग पतले और छोटे और उसके ऊपर के अंग मोटे और बड़े होते है उसे न्यग्रोधपरिमण्डल संस्थान कहते हैं। कुजक कुबड़ा शरीर हो जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर शाल्मलिवृक्ष के समान होता है अर्थात् जिसके नाभि के नीचे के अंग मोटे और बड़े और उसके ऊपर के अंग पतले और छोटे होते हैं उसे स्वाति संस्थान कहते हैं। बाराच बज रहित कीलित हड्डियों की सन्धि हो १७३ अर्द्धनाराच | हड्डियों की सब्धि अर्द्ध कीलित हो

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