Book Title: Gyanpushpa
Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada

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Page 178
________________ १६३ प्रश्न ०९४ - मतिज्ञान के विषयभूत पदार्थों के कितने भेद हैं? उत्तर - मतिज्ञान के विषयभूत पदार्थों के दो भेद हैं - व्यक्त और अव्यक्त। प्रश्न ०९५- क्या अवग्रहादि ज्ञान दोनों ही प्रकार के पदार्थों का होता है? उत्तर - व्यक्त पदार्थों के अवग्रहादि चारों ही ज्ञान होते हैं परन्तु अव्यक्त पदार्थों का सिर्फ अवग्रह ही होता है क्योंकि अवग्रह के भी दो भेद हैं - अर्थावग्रह और व्यंजनावग्रह। प्रश्न ०९६ - अर्थावग्रह किसे कहते हैं? उत्तर - व्यक्त पदार्थों के अवग्रह को अर्थावग्रह कहते हैं। प्रश्न ०९७- व्यंजनावग्रह किसे कहते हैं? उत्तर - अव्यक्त पदार्थों के अवग्रह को व्यंजनावग्रह कहते हैं। प्रश्न ०९८ - अर्थावग्रह की तरह व्यंजनावग्रह भी क्या सभी इन्द्रियों और मन द्वारा होता है? उत्तर - नहीं, व्यंजनावग्रह चक्षु और मन को छोड़कर शेष सब इन्द्रियों द्वारा होता है। प्रश्न ०९९ - व्यक्त और अव्यक्त पदार्थों के कितने भेद हैं ? उत्तर व्यक्त और अव्यक्त पदार्थों के बारह- बारह भेद छह जोड़ों में हैं - बहु, एक, बहुविध, एकविध, क्षिप्र, अक्षिप्र, अनिःसृत, निःसृत, अनुक्त, उक्त, ध्रुव और अध्रुव । (बहु - बहुत या अनेक पदार्थ । एक - अल्प या एक पदार्थ । बहुविध - बहुत प्रकार के पदार्थ । एकविध - एक प्रकार के पदार्थ। क्षिप्र - तेज गतिवाले पदार्थ । अक्षिप्र - मन्द गतिवाले पदार्थ । अनिःसृत - आंशिक दिखनेवाले पदार्थ । निःसृत - पूर्ण दिखनेवाले पदार्थ । अनुक्त - अवर्णित या अकथित पदार्थ । उक्त - वर्णित या कथित पदार्थ । ध्रुव - स्थिर पदार्थ । अध्रुव - अस्थिर पदार्थ।) (- तत्वार्थसूत्र १/१६ की टीका के आधार पर) प्रश्न १००- श्रुतज्ञान किसे कहते हैं? उत्तर - मतिज्ञान से जाने हुए पदार्थ के सम्बन्ध से किसी दूसरे पदार्थ के ज्ञान को श्रुतज्ञान कहते हैं। जैसे -'घट' शब्द सुनने के बाद उत्पन्न हुआ कम्बु - ग्रीवा आदि आकाररूप घट का ज्ञान । (अवधिज्ञान, मनःपर्ययज्ञान और केवलज्ञान की परिभाषायें - अध्याय १, पाठ - ३ रत्नत्रय में दी गई हैं।) प्रश्न १०१- दर्शन कब होता है? उत्तर - अल्पज्ञ जीवों को ज्ञान के पहले दर्शन होता है क्योंकि बिना दर्शन के ज्ञान नहीं होता परन्तु सर्वज्ञदेव को केवलज्ञान और केवलदर्शन साथ - साथ होते हैं। प्रश्न १०२- चक्षुदर्शन किसे कहते हैं? उत्तर - चक्षु सम्बन्धी मतिज्ञान से पहले होने वाले सामान्य प्रतिभास या सामान्य अवलोकन को चक्षुदर्शन कहते हैं। प्रश्न १०३- अचक्षुदर्शन किसे कहते हैं? उत्तर - चक्षु के अलावा अन्य इन्द्रियों और मन सम्बन्धी मतिज्ञान से पहले होने वाले सामान्य अवलोकन को अचक्षुदर्शन कहते हैं। प्रश्न १०४ - अवधिदर्शन किसे कहते हैं ? उत्तर - अवधिज्ञान से पहले होने वाले सामान्य अवलोकन को अवधिदर्शन कहते हैं । प्रश्न १०५- केवलदर्शन किसे कहते हैं? उत्तर - केवलज्ञान के साथ-साथ होने वाले सामान्य अवलोकन को केवलदर्शन कहते हैं।

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