Book Title: Gyanpushpa
Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada

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Page 163
________________ १४८ मॉडल एवं अभ्यास के द्वितीय वर्ष (परिचय) प्रश्न प्रश्न पत्र - श्री कमल बत्तीसी समय-३ घंटा अभ्यास के प्रश्न - गाथा १७ से ३२ पूर्णांक - १०० नोट : सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है। शुद्ध स्पष्ट लेखन पर अंक दिए जावेंगे। प्रश्न १ - रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए - (अंक २ x ५ = १०) (क) ........से रहित अनंत गुणोंमयी निज शुद्धात्मा अपना इष्ट है। (ख) आत्मा, आत्म स्वभावमय है, वह........रहित है। (ग) सम्यक्दृष्टि ज्ञानी एकांत और........भाव को नहीं देखता। (घ) ज्ञानी........नय के विषयभूत शुद्धात्म तत्त्व की आराधना करता है। (ङ) जिन दिस्टि इस्टि........। प्रश्न २ -सत्य/असत्य कथन लिखिए - (अंक २ x ५= १०) (क) तीन लोक, तीन काल में शुद्ध निश्चय नय से मैं आत्मा शुद्धात्मा परमात्मा हूँ। (ख) परम सहावेन कम्म विलयंति। (ग) राग - द्वेष पूर्वक की गई प्रवृत्ति से जीव को कर्म बंध होता है। (घ) सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान सहित जो सम भावना होती है इसको सम्यक्चारित्र कहते हैं। (ङ) अप्पा अप्प सहावं, अप्प सुद्धप्प विमल परमप्पा। प्रश्न ३- सही विकल्प चुनकर लिखिये - (अंक २४५=१०) (क) जो प्राणियों को दुःखी करते हैं उनका गमन होता है -(१) सुगति (२) दुर्गति (३) नरक (४) स्वर्ग (ख) सज्जन जिसका आचरण करते हैं उसे कहते हैं- (१) चारित्र (२) ज्ञान (३) ध्यान (४) सदाचार (ग) शोभनीक, मंगलीक, जय जयवंत आदि कल्याणकारी विशेषण हैं-(१) देव (२) जिनवाणी (३) धर्म (४) गुरु (ङ) मोक्ष का आधार है (१) तत्व श्रद्धान (२) पुण्य कार्य (३) दया दान (४) सद्कार्य (घ) जिन उत्तं जिन वयनं, जिन सहकारेन (१) कलिस्ट जीवानं (२) मुक्ति गमनंच (३) कम्म संषिपनं (४) दुष्य वीयंमी प्रश्न ४ - सही जोड़ी बनाइये - स्तंभ-क स्तंभ - ख (अंक २४५= १०) मोक्ष राग द्वेष रूपप्रवृत्ति ममल स्वभाव ज्ञान स्वरूप न्यान सरूव राग द्वेष से निवृत्ति बंध अज्ञान स्वभाव का विस्मरण ज्ञायक स्वभाव प्रश्न ५- अति लघु उत्तरीय प्रश्न (३० शब्दों में) (अंक ४४५= २०) (क) मिथ्यात्व कषाय कर्मादि को जीतने का मूल आधार क्या है? (ख) सम्यक्चारित्र किसे कहते हैं ? (ग) नयों को एकांत से ग्रहण करने वाला कौन होता है ? (घ) आत्मधर्म की क्या महिमा है? (ङ) जीव के लिए अनिष्टकारी क्या है? प्रश्न ६ - लघु उत्तरीय प्रश्न (५० शब्दों में कोई पाँच) (अंक ६x ५= ३०) (क) सम्यग्दृष्टि कौन सी भावनाएँ भाता है? उनका क्या स्वरूप है ? (घ) मैत्री आदि भावनाओं का स्वरूप लिखिए। (ख) "अन्यानं नहु दिस्टं" गाथा का क्या अभिप्राय है? (ग) सम्यक्चारित्र के भेद समझाइये। (ङ) नय पक्ष को किस प्रकार समझना चाहिए। अथवा नयातीत स्वभाव की प्राप्ति कैसे होती है ? प्रश्न ७- दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (अंक १x१०=१०) (क) गाथा १७ से ३२ का संक्षिप्त भावार्थ लिखिये । अथवा श्री कमल बत्तीसी जी ग्रन्थ के आधार पर सम्यकचारित्र पर एक निबंध लिखिये।

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