Book Title: Gurugun Shattrinshtshatrinshika Kulak Part 02
Author(s): Ratnabodhivijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 373
________________ ७७० अष्टादश पापस्थानानि १ पाणिवहाऽ २ लिय ३ मदत्त - गहण ४ मेहुण ५ परिग्गहो ६ कोहो । ७ माणो ८ माया ९ लोभो, १० पेज्जं ११ दोसो तहा १२ कलहो ॥५५७९ ॥ १३ अब्भक्खाणं १४ अरईरई य, १५ पेसुण्ण १६ परपरीवाओ । १७ मायामोसं १८ मिच्छा-दंसणसल्लं ति पढममिह ॥५५८० ॥ पाणाऽइवायसंजणिय-पावपब्भारभारिया संता । जीवा पडंति नरए, जले जहा लोहमयपिंडो ॥ ५६१२॥ अलियपयंपणसंपत्त-पावपब्भारभारिया संता । जीवा पडंति नरए, जले जहा लोहमयपिंडो ॥ ५७०३॥ अदत्तगहणसंजणिय-पावपब्भारभारिया संता । नरए पडंति जीवा, जले जहा लोहमयपिंडो ॥ ५७६९ ॥ मेहुणपसंगसंजणिय-पावपब्भारभारिया संता । निवडंति नरा नरए, जले जहा लोहमयपिंडो ॥ ५८३४॥ अच्छंतमऽविस्सासस्स, भायणं मंदिरं कसायाणं । दुन्निग्गो गो इव, परिग्गहो कं न विनडेड़ ॥५८७०॥ कोहाउ महाऽऽरंभो, परिग्गहो वि हु पयट्टए कोहा । किं बहुणा सव्वाणि वि, पावट्टाणाणि कोहाओ ॥५९२० ॥ जह जह करेड़ माणं, पुरिसो तह तह गुणा परिगलंति । गुणपरिगणेण पुणो, कमेण गुणविरहियत्तं से ॥५९६६ ॥ जह जह करेइ मायं, तह तह अपच्चयं जणे जणइ । अप्पच्चयाओ पुरिसो, अक्कयतूला लहु होइ ॥ ६०००॥ लोभे य पसरमाणे, कज्जाऽकज्जं अचिन्तयन्तो य । मरणं पि हु अगर्णेतो, कुणइ महासाहसं पुरिसो ॥ ६०२४॥ अच्छंतलोभमाया-रूवमऽभिस्संगमेत्तमिह पेज्जं । आयप्परिणामं चिय, तिलोयपुज्जा परूवंति ॥ ६०६६॥

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