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ગુજરાતમાં વિશ્વ-સાહિત્ય ભલે પધારી!
કરાવવાનું માન ગુજરાત યુનિવર્સિટીને ફાળે જાય છે, અને ગુજરાત યુનિવર્સિટીના આ શકવર્તી નિર્ણયની અને તેને અનુરૂપ પગલાં પ્રેરવાનું શ્રેય શ્રી મગનભાઈ દેસાઈને ફાળે જાય છે. તે માટેનું બળ તેમના કેટલાક વિશિષ્ટ गुलबक्षी - पूरी वियार, पाडो निर्णय, स्पष्टवतृत्व अंडी अभ्यासनिष्ठा, નીડરતા અને નિ:સ્પૃહી સેવાભાવનાએ પૂરું પાડયું હતું.” 'अन्तदृर्शी दुसयति ' भांथा ]
-ફંચનલાલ પરીખ
अभिनंदन और आशीर्वाद
मैं श्री मगनभाई देसाई को उनकी ६१ वी जन्म जयंती के अवसर पर अपना अभिनंदन और आशीर्वाद भेजता हूं। और देशकी सेवा में सतत समर्पित रहने के लिये तथा खास करके महात्मा गांधीजी के उपदेशों के. प्रचार के लिये उनके दीर्घ जीवनकी कामना करता हूं ।
राजेन्द्र प्रसाद
ता. १०-१०- १५९
सर्वोदय-प्रेमी
श्री. मगनभाई देसाईने जो विविध प्रकारकी सेवा सर्वोदयकी की है, वह कौनसा सर्वोदय - प्रेमी नहीं जानता? गांधीजी के बताये हुए मार्ग पर, लेकिन अपनी स्वतंत्र बुद्धिसे सोचकर, चलनेवाले इनेगिने लोगों में मगनभाई की गिनती है । परमेश्वर उन्हें पूर्ण आयु दे और उनकी निर्मल हृदयसे की हुई सेवाका लाभ जनताको मिलता रहे यही मेरी कामना ।
विनोबा का जय जगत्