Book Title: Gautam Ras Parishilan
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 14
________________ ने (काल ७०० से ७७०) स्वरचित “उपदेशपद" नामक ग्रन्थ की गाथा १४१ की स्वोपज्ञ टीका में वज्रस्वामी चरित्र के अन्तर्गत गौतम स्वामी का कथानक भी दिया है । कथा प्राकृत में है और पद्य ४ से ११५ तक एवं १ से ३३ तक में ग्रथित है । इस जीवन-चरित्र की मुख्य घटनायें हैं गागलि प्रतिबोध, अष्टापद तीर्थ की यात्रा, चक्रवर्ती भरत कारित जिन-चैत्य-बिम्बों की स्तवना, वज्रस्वामी के जीव को प्रतिबोध और उसे सम्यक्त्व को प्राप्ति, १५०० तापसों को प्रतिबोध, महावीर का निर्वाण और गौतम को केवलज्ञान की प्राप्ति एवं निर्वाण । इसी चरित्र/कथानक को प्रामाणिक मानकर, परवर्ती धुरन्धर प्राचार्यों-शोलांकाचार्य ने च उप्पन्न महापुरुष चरिय (र० सं० ६२५), अभयदेवसूरि ने भगवती सूत्र की टीका (र० सं० ११२८), देवभद्राचार्य ने महावीर चरियं (र० सं० ११३६) ओर कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य ने त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र महाकाव्य आदि में गौतम स्वामी के जीवनचरित्र/कथा का प्रालेखन किया है । प्राभार इस पुस्तक के लेखन की प्रेरक प्रार्यारत्न श्रीमनोहर श्रीजी म. ही रही हैं अतः उनका मैं अत्यन्त ही आभारी हूँ। पुस्तक के लेखन में मैंने जिन-जिन पुस्तकों का सहयोग लिया है, उन समस्त लेखकों का मैं ऋणी हूँ। __1. मुक्तिकमल जैन मोहन ज्ञान मन्दिर, बड़ौदा से प्रकाशित पत्रांक ११६ ए से १२० ए एवं १२७ बी से १२८ बी तक । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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