Book Title: Gautam Ras Parishilan
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 72
________________ गौतम रास : परिशीलन तापसगण-भगवन् ! आप जैसे गुरु को प्राप्त कर हम सभी का अन्तःकरण परमानन्द को प्राप्त हुआ है अतः परमान्न खीर से ही पारणा करावें । उसी क्षण गौतम भिक्षा के लिये गये और भिक्षा पात्र में खीर लेकर आये । सभी को पंक्ति में बिठाकर, पात्र में दाहिनी अंगूठा रखकर अक्षीणमहानसी लब्धि के प्रभाव से सभी तपस्वीजनों को पेट भर कर खीर से पारणा करवाया। शैवाल आदि ५०० मुनि जन तो गौतम स्वामी के अतिशय एवं लब्धियों पर विचार करते हुए ऐसे शुभध्यानारूढ़ हुए कि खीर खाते-खाते ही केवलज्ञान प्राप्त कर लिया। भिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् गौतम सभी श्रमणों के साथ पुनः आगे बढ़े । प्रभु के समवसरण की शोभा और अष्ट महाप्रातिहार्य देखकर दिन्न आदि ५०० अनगारों को तथा दूर से ही प्रभु के दर्शन, प्रभु की वीतराग मुद्रा देखकर कौडिन्य आदि साधुनों को शुक्लध्यान के निमित्त से केवलज्ञान प्राप्त हो गया । समवसरण में पहुँच कर, तीर्थंकर भगवान की प्रदक्षिणा कर सभी नवदीक्षित केवलियों की ओर बढ़ने लगे । गौतम ने उन्हें रोकते हुए कहा-भगवान को वन्दन करो। उसी समय भगवान ने कहा-गौतम ! केवलज्ञानियों की आशातना मत करो ! भगवान का वाक्य सुनते ही गौतम स्तब्ध से हो गये । भगवद् अाज्ञा स्वीकार कर, गौतम ने मिथ्यादुष्कृत पूर्वक उन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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