Book Title: Gautam Ras Parishilan
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 157
________________ महोपाध्याय विनयसागर जन्म-वि०सं० १९८५ शिक्षा-साहित्य महोपाध्याय, साहित्याचार्य, जैन दर्शन शास्त्री, साहित्य रत्न (सं.), आदि सम्मानित उपाधियाँ-महोपाध्याय, शास्त्रविशारद, विद्वद्रत्न आदि । म० विनयसागर प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, गुजराती, राजस्थानी भाषाओं के विद्वान तथा पुरालिपियों के विशेषज्ञ तो हैं ही, उनके पास जैन दर्शन एवं परम्परा का चहुंमुखी अध्ययन और अनुभव भी है। एक लम्बे समय से जैन दर्शन, प्राकृत भाषा, पुरातत्त्व आदि अनेक विषयों में शोधरत होने के साथ-साथ आपका लेखन नियमितरूप से चल रहा है। प्रस्तुत पुस्तक आपके द्वारा लिखित/सम्पादित अनुवादित पुस्तकों की श्रृंखला में तैतीसवीं है तथा अन्य दस पुस्तकें प्रकाशन के लिये लगभग तैयार हैं। आपकी पुस्तकों में से “वृत्तमौक्तिकम्” तथा "नेमिदूतम्' क्रमश: जोधपुर तथा राजस्थान विश्वविद्यालय के एम. ए. संस्कृत के पाठ्यक्रम में रही हैं। शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार ने सन् १९८६ में आपको सम्मानित भी किया है। सम्प्रति प्राकृत भारती अकादमी के निदेशक "वं संयुरा सचिब हैं। Jain Educationa international

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