Book Title: Gautam Ras Parishilan
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 149
________________ गौतम राम : परिशीलन १२९ जैसे आम्रवृक्ष कोयल की कुहू कुहू से शब्दायित है, जैसे पुष्पोद्यान परिमल की महक से महकित / सुरभित है, जैसे चन्दन सुगन्ध का भण्डार है, जैसे गंगा जल लहरों से तरंगित है, जैसे स्वर्ण पर्वत तेज से देदीप्यमान है, वैसे ही गौतम सौभाग्य के निधान स्थान हैं ||३८|| जिम मानसरोवर निवसइ हंसा, जिम सुर-तरुवर कणय वतंसा, जिम महयर राजीव वनई, जिम रयणायर रयणई विलसइ, जिम अम्बर तारागण विकसई, तिम गोयम गुण केलि वनहं ॥३६॥ जैसे मानसरोवर में हंस निवास करते हैं, जैसे देव वृक्ष मन्दार / पारिजात पीत पुष्पों से रमणीय हैं, जैसे कमल वन भ्रमरों से आसेवित हैं, जैसे रत्नाकर / समुद्र रत्नों से दीपित हैं, जैसे प्रकाश मण्डल तारागणों से मण्डित है, शोभायमान है वैसे ही गौतम स्वामी गुणों के क्रीड़ा स्थान हैं ।। ३६ ।। पूनम निसि जिम ससियर सोहइ, सुर-तरु महिमा जिम जग मोहइ, पूरब दिसि जिम सहसकरु । पंचानन जिम गिरिवर राजइ, नरवइ घर जिम मयगल गाजइ, तिम जिनशासन मुणिवरु ॥४०॥ जैसे पूर्णिमा की रात्रि चन्द्रमा से शोभायमान है, जैसे कल्पवृक्ष की महिमा से सारा विश्व लुब्ध है, जैसे पूर्व दिशा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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