Book Title: Gautam Ras Parishilan
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 153
________________ गौतम रास : परिशीलन चौदह सौ, बारह है उत्तर में जिसके अर्थात् विक्रम संवत् १४१२ में गौतम गणधर के केवलज्ञान-प्राप्ति दिवस पर अर्थात् कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा के दिन परोपकारार्थ कवित्वमय इस “गोयम रासु" संज्ञक की रचना पूर्ण की। गौतम स्वामी का नाम ही प्रथम मंगल के रूप में कहा गया है, पर्वो के महोत्सवों आदि में भी सर्वप्रथम गौतम स्वामी का ही नाम लिया जाता है, स्मरण किया जाता है। हे श्रद्धालुनो ! गौतम गणधर का नाम ही आपके लिये ऋद्धिकारक, वृद्धिकारक और कल्याणकारी सिद्ध हो ॥४५।। धन माता जिण उयरइ धरियउ, धन्य पिता जिण कुल अवतरियउ, धन्य सुगुरु जिण दिक्खियउ ए। विनयवंत विद्या भण्डार, तसु गुरण पुहवि न लब्भइ पार, बड जिम साखा विस्तरु ए। गोयम सामिनउ रासु भणिजइ, चउन्विह संघ रलियायत कीजइ, रिद्धि वृद्धि कल्लाण करु ए ॥४६॥ उस माता को धन्य है जिसने ऐसे विशिष्टतम महापुरुष को उदर में धारण किया । उस पिता को भी धन्य है जिनके कुल में ऐसा नर-रत्न अवतरित हुआ। उस सद्गुरु को भी धन्य है जिसने ऐसे मूर्धन्य मनीषि को दीक्षित किया । गौतम गणधर विनयवान और विद्या के भण्डार थे। उनके अनन्त गुणगणों का विशाल धरा भी छोर नहीं पा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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