Book Title: Gautam Ras Parishilan
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 150
________________ १३० गौतम रास : परिशीलन सूर्य से प्रकाशमान है, जैसे सिंहों से पर्वत अलंकृत हैं, जैसे मदमस्त हाथियों से राजाओं के महल गर्जित हैं वैसे ही जिनेन्द्र भगवान का शासन मुनिप्रवर गौतम स्वामी से आलोकित है॥४०॥ जिम सुर-तरुवर सोहइ साखा, जिम उत्तम मुख मधुरी भाषा, जिम वन केतकि महमहे ए। जिम भूमिपती भुयबल चमकइ, जिम जिन मन्दिर घण्टा रणकइ, गोयम लब्धि गहगाउ ए ॥४१॥ जैसे देवताओं का श्रेष्ठ कल्पवृक्ष शाखा-प्रशाखाओं से शोभा देता है, जैसे उत्तम पुरुषों का मुख मधुर भाषा से दीपित होता है, जैसे वनोद्यान केतकी पुष्षों से महकता है, जैसे भूमिपति/राजा स्वकीय भुजबल से चमकता है, जैसे जिनेश्वर देव का मन्दिर घण्टों की रण-रण ध्वनि से गुंजित होता है वैसे ही गौतम स्वामी आत्मिक-लब्धियों/अतिशयों से आलोकित हैं ।।४।। चिन्तामणि कर चढीयउ अाज, सुरतरु सारइ वंछिय काज, कामकुम्भ सहु वशि हुए। कामगवी पूरइ मन-कामी, अष्ट महासिद्धि प्रावइ धामि, सामि गोयम अणुसरउ ए ॥४२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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