________________
१.४
गौतम रास : परिशीलन
जम्बूद्वीप स्थित भरत क्षेत्र में पृथ्वीतल का मंडनभूत मगध नामक देश (प्रान्त, वर्तमान समय में बिहार प्रान्त) था। वहाँ शत्रु दलों के बल का दलन करने वाले महाराजा श्रेणिक राज्य करते थे। उसी मगध प्रदेश के अन्तर्गत धनधान्य से समृद्ध गुब्वर नाम का (नालन्दा के समीप) ग्राम था। उसी ग्राम में सकलगुणनिधान विप्र जातीय वसुभूति नामक पण्डित निवास करते थे। उनकी पत्नी का नाम पृथ्वी था ॥२॥
ताण पुत्त सिरि इन्दभूइ भूवलय पसिद्धउ, चउदह विज्जा विविह रूव नारी रस लुद्धउ । विनय विवेक विचार सार गुणगणह मनोहर, सात हाथ सप्रमाण देह रूवहिं रम्भावर ॥३॥
उनके पुत्र का नाम इन्द्रभूति था, जो विश्वविख्यात था, विविध प्रकार की चौदह विद्या रूपिणी नारियों का रस लोभी था, अर्थात् चतुर्दश विद्यानिधान था और विनय, विवेक, विचारशीलता आदि श्रेष्ठ गुण समूह से शोभायमान था। इनका देहमान सात हाथ का था और रूप-सौन्दर्य रम्भावर अर्थात् इन्द्र के तुल्य था ।।३।।
नयण वयण कर चरण जरणवि पंकज जल पाडिय, तेजहि तारा चंद सूर आकास भमाडिय । रूवहि मयण अनंग करवि मेल्यउ निरधाडिय, धीरमइ मेरु गम्भीर सिन्धु चंगम चय चाडिय ॥४॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org