Book Title: Gautam Ras Parishilan
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 100
________________ गौतम रास : परिशीलन १. नरवर्म चरित्र-संस्कृत पद्यबद्ध, श्लोक संख्या ४६४ : रचना संवत् १४११ कार्तिक पूर्णिमा, खंभात । श्री नाहटा बन्धुओं की सूचनानुसार उन्होंने “संवत् १४१२ वर्षे श्री विनयप्रभोपाध्यायः श्रीस्तम्भपुरे स्थितैः सम्यकत्वसारा चक्रे हि नरवर्म-नपकथा" प्रशस्ति वाली १० पत्रों की तत्कालीन लिखित प्रति भावहर्षीय ज्ञान भण्डार, बालोतरा में देखी थी । इस ग्रन्थ को पं.हीरालाल हंसराज, जामनगर ने ६५-७० वर्ष पूर्व प्रकाशित किया था, पर उसमें कर्ता के सम्बन्ध में कुछ भी उल्लेख नहीं हैं। २. गौतमरास-भाषा-प्राचीन मरु-गुर्जर, पद्य ४७ : रचना संवत् १४१२ कार्तिक शुक्ला १, खंभात । कहा जाता है कि इसकी रचना उपाध्यायजी ने अपने भाई के दारिद्र य निवारणार्थ की थी, जो कि खंभात में ही निवास करता था। इस रास के कर्ता के सम्बन्ध में परवर्ती कई लेखकों एवं प्रकाशकों ने "विजयभद्र या उदयवन्त" लिखकर भ्रामकता पैदा की है। रास की गाथा ४३ में स्पष्टतः "विणयपह उवझाय थुणिज्जई" विनय-प्रभोपाध्याय का उल्लेख है। __ दूसरी बात रचना सं० १४१२ के १८ वर्ष बाद की अर्थात् १४३० की लिखित स्वाध्याय पुस्तिका में यह रास और विनयप्रभ रचित कई स्तोत्र भी प्राप्त हैं । यह प्रति बीकानेर के बृहद् ज्ञानभण्डार में सुरक्षित है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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