________________
गणधर गौतम : परिशीलन
विनयप्रभोपाध्याय यह भी विधान करते हैं-ॐ ही श्री अहं श्रीगौतमस्वामिने नमः' मन्त्र का अहर्निश जप करना चाहिए, इससे सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
गौतम के नाम की ही महिमा है कि आज भी प्रातःकाल में अहर्निश नाम-स्मरण करने से सभी कार्य सफल होते दिखाई देते हैं।
जैन समाज आज भी लक्ष्मी पूजन के पश्चात् नवीन बही-खाता में प्रथम पृष्ठ पर ही "श्रीगौतमस्वामी जी महाराज तणी लब्धि हो जो" लिखकर नाम-महिमा के साथ अपनी भावि-समृद्धि एवं सफलता की कामना उजाकर करते हैं ।
वास्तविकता यह है कि आज भी गौतम स्वामी का पवित्र एवं मंगल नाम जन-जन के हृदय को आह्लादित करता है । प्रतिदिन लाखों आत्माएँ आज भी प्रभात की मंगल बेला में भक्तिपूर्वक भाव-विभोर होकर नाम-स्मरण करते हुए बोलती हैं :
अंगूठे अमृत बसे, लब्धितणा भण्डार । श्री गुरु गौतम सुमरिये, वांछित फल दातार ।
नाम-स्मरण के साथ जैन परम्परा में गौतम के नाम से कई तप भी प्रचलित हैं, जैसे
वीर गणधर तप, २. गौतम पडधो तप ३. गौतम कमल तप, ४. निर्वाण दीपक तप
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org