Book Title: Dravya Pariksha Aur Dhatutpatti
Author(s): Thakkar Feru, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Jain Shastra Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 23
________________ भूमिका लगवसा, वीसलपुरी (कुण्डे और गूगले दो प्रकार की तथा डोलहर) व अर्जुनपुरी और कटारिया मुद्राएं आसपाल की आसपालपुरी नृपति सारंगदेव की साढलपुरी, लाखापुरी, गविका, पडिया और रजपलाहा, साठसया, वराह, विनाइकाचंदी, कल्हड़पुरी, वाणमुद्रा और मछवाहा मुद्राएं वणित हैं। गा० ९३ में चौतीसा, पैतोसा, छतीसा, सैंतीसा और मालवपुरो छारीया मुद्राओं का मूल्य चासनी के अनुसार मालूम करने का निर्देश किया गया है। गा० १४ से गा० १०० पर्यन्त मालवी मुद्राओं का विशद वर्णन है जिनमें चौकड़िया, दिउपालपुरी, कुंडलिया, कउलिया, छडुलिया, सेलकी-तोगड़, जानीयाचित्तौड़ी, जकारिया, गलहुलिया, खालगा, सिवगणा, वापड़ा, मलीता, सीहमार, चोरमार मुद्राओं के प्रतिशत तोल मोल और धातु का परिमाण वतलाया गया है। गा० १०१ से १०३ तक नलपुरी मुद्राओं का वर्णन है जो तीन प्रकार की चांहडी मुद्रा थी-दुओतरी, अंककी और पुराणी। इसी प्रकार आसली मुद्रा भी सतरहोतरी, ठेगा और नवीठेका तीन प्रकार की होती थीं। गा० १०४ से १०८ तक चंदेरी संबंन्धी मुद्राओं का वर्णन है जो कोल्हापुरो, जग्यिा , होरिया, अकुड़ा, जइत, वीरमुन्द, लक्ष्मणी, राम, वव्वावरा, मसीणा और खसर-इतने प्रकार की थों।। गा० १०९ और ११० में जालंधरी मुद्राओं का वर्णन है। ये वडोहिय मुद्राएं चार प्रकार की थीं ! जैसे जइतचंदाहे, रूपचंदाहे त्रिलोकचंदाहे और सांतिउरीमाहे । ये नगरकोट-कांगड़ा के जैन राजानों की थीं। इन सबके धातुका परिमाण, तोल-गोल बड़ी खूबी से वर्णित हैं। इसके पश्चात् गा. १११वीं में दिल्ली के तोमर राजपूत राजाओं की चार प्रकार की मुद्रामों का वर्णन है। ये दिल्ली के अंतिम हिन्द राजा थे जिनके उत्तराधिकारी पृथ्वीराज चौहान के पश्चात् मुसलमानी सल्तनत का अधिकार हो गया था। ये मुद्राएँ अनंगपलाहे, मदनपलाहे पिथ उपलाहे और चाहड़पलाहे चार प्रकार की थीं। दुर्भाग्य को वात है कि इन राजाओं के सम्बन्ध में भारतीय इतिहास अवतक मौन-सा है। सं. १३०५ की लिखी हुई खरतरगच्छोय युगप्रधानाचार्य गुर्वावली के राजा मदनपालको मणिधारी दादा श्रीजिनचन्द्र सूरिजी द्वारा (स० १२२३) प्रतिवधि का उल्लेख है, जो ठक्कूर फरू की द्रव्य-परीक्षा से भो समथित है। गाथा ११२ से १३३ तक मुसल्मानी शासन में प्रवत्तित मुद्राओं का वर्णन है। ये विविध प्रकार की और नाना तोल-मोल की थीं। उनकी नामावली इस प्रकार है सूजा, साहवदीनी, महमूदसाही, चउकडीया, कटका, सखा, मखिया, कुण्डलिया, छुरिया, जगटपलाहा, दुकड़िया ठेगा, कुवाइचीजजीरी, फरीदी, परसिया, चउक, वफा, खकरिया, नींवदेबी, धमडाहा, जकारिया, अलावदीनी, Aho! Shrutgyanam

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