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द्रव्यपरीक्षा
जसु वनी जं तुल्लो सो तसारियो गुणेवि करि पिडं । तुल्लि विहते वरनं इच्छा वनी हरे तुल्तं ॥४१॥ ।। इति स्वर्ण विवहारं ॥
उग्पाड मूसि दुग सउ पडिय सओ ढक्क मूसि उद्देसो । प्रवट्ट खए गच्छइ हरजइ तहरीण वट्टे य ॥ ४२ ॥ छेणि घडण ज्जालणि सहस्सि तोलेहि रुप्पु चउमामा । कण सवाउ मासउ टंकट्ठ सहस्सि मासउ टंकट्ठ सहस्ति दम्मेहि ||४३|| ॥ इति हास्यं ॥
चहु सय ठुत्तरि कणओ चहु सय वत्तीस कणय टंको य । तेवन्नि सड्ढ रुप्पउ सट्ठि टकउ नाणउ तिवन्ते ||४४ || तोलस्स सलूणी दम्हिहि वत्तीसि च हू कायरियं । रुपस्स खरडि सीसय पमाणि छह टंक दम्मिक्के ||४५ || सीसस्स मली सीसस्स श्रद्धए तह य उतल सरडि पुणो । लोहद्धि लोह कक्कर इस अयं तेर वासद्वे ।। ४६ ।।
४१. जिस वान का जो से भाग देने पर वान और वान को भाग देने से तौल निकल जायगा ।
स्वर्ण अवहार समाप्त हुआ।
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तौल हो परस्पर गुणाकार कर मिला देना चाहिए। तोल
४२.
दो सौ की खुली मूस में सौ गलने पर ढक कर आवर्त समाप्त होने पर हरजय और रीण का बट्टा चला जाता है ।
४३.
तोड़ने, घड़ने या टांके (घटन) में और उजालने में हजार तोलों में चार मासा चाँदी और सोना सवा मासा एवं हजार द्रम्म में (तांबा) आठ टांक छीजता कम होता है।
४४. चार सौ अठहत्तर स्वर्ण का मूल्य चार सौ बत्तीस कनक टंका, साढे तेपन रौप्य का मूल्य ६० टका, ५३ नाणा मूल्य है।
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४५.
द्रम्म मूल्य है। आती है ।
४६.
सीसे की मली का मूल्य सीसे से आधा है, उसी प्रकार फिर डउल खरड़ का भी समझना । तथा लोहे से आधा लोकक्कर ( कच्चा लोहा या कान्ति लोहा-ढाला) का होता है। सीसे का भाव द्रम्मप्रति तेरह तोला और लोहा एक द्रम्म का बासठ तोला के भाव समझना चाहिए।
एक तोले सलूणी का बत्तीस द्रम्म, कायरय (कुकरा) चार तोले का बत्तीस चांदी की खरडि सोसे के परिमाण से एक इम्म में छह टंक अर्थात् दो तोला
जसु वन्ना जं तुल्लं तं तेण गुणेवि कीरए विंड
तुल्लि विहत्ते वन्नी वन्नी भाए हवइ तुल्लं ॥१५॥ [ गणितसार तृतीय अध्याय ] इसके पश्चात् गाथा २५ पर्यन्त स्वर्ण, पक्वस्वर्ण, नष्ट स्वर्ण आदि के हिसाब बतलाये हैं ।
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