Book Title: Dravya Pariksha Aur Dhatutpatti
Author(s): Thakkar Feru, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Jain Shastra Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 50
________________ द्रव्यपरीक्षा तंबु अढाइ मासा रुप्पु सुवन्नो य इक्कु इक्को य । तियलोयवंम मुल्लं छत्तीसं() विविह भोजस्स (')।७१।। वल्लह तिय कमि धाऊ रुप्य कणय गुंज अट्ठ पण अहुठें। तंबु भव११ सतर१७ वीसं२० मुल्ले चालीस तोस वास धुवं(१२) ॥७२॥ ॥ इति त्रिधातु मिश्रित मुद्राः ।। अथ द्विधातु मुद्रा:जे तोला जे मासा जि टंक उल्लविय सबल मुद्देहि । तं सयमझे रुप्पउ जाणिज्जहु सेस तंवो य ॥७३॥ खुरसाण देस संभव चिन्हक्खर पारसीय तुरुकी य । तंबय रुप्प दुधाऊ इमेहि नामेहि जाणेह ॥७४।। (१०) ३६ त्रिलोकवरमु १ मासा ४॥ मा० • मा १ सोनमा १ रूपौमा २॥ तांबा (११) • भोज नाना तौल्य विविध मूल्य • तृधातु संभव (१२) वालम्भ सोना रूपा ४० १ रा.८ . रा.८ ३०१ रा. ५ रा.५ २० १ रा. ३॥ रा. ३॥ मासा ४॥ ४॥ तांबा रा. ११ रा. १७ रा. २० ७१. त्रिलोक वर्मा की मुद्रा में ढाई मासा ताम्र और एक-एक मासा सोना चांदी है जिसका मूल्य छत्तीस जीतल और भोज की मुद्राओं में विविध है। कोष्टकानुसार भोज की मुद्राएँ त्रिधातु की नाना तौल एवं विविध मूल्य की थीं। ७२. वल्लभ (वालंभ--वल्लह) मुद्रा तीन प्रकार की होती है जिनमें सोना, चांदी दोनों बराबर आठ, पांच, साढ़े तीन रत्ती एवं तांबा ११,७०,२० रत्ती है। अर्थात् सब मिला कर साढ़े चार, साढ़े चार मासा तीनों में बराबर वजन हुआ और मूल्य क्रमश: चालीस, बोस बोर बीस जीतल हैं। ॥तीन धातुओं की मिश्रित मुद्राएं समाप्त हुई। अब दो घातु की मुद्राएं : ७३. समस्त मुद्राओं में जितना तोला जितना मासा और जितने टंक कहे हैं उतनी प्रतिशत चांदी और अवशिष्ट ताम्र जानना । ७४. खुरासान देश की निर्मित मुद्राओं में पारसी और तुर्की चिन्हाक्षर रहते हैं, जिनमें तांबा और चांदी दो धातु हैं। इनके नाम इस प्रकार जानो Aho! Shrutgyanam

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