Book Title: Dravya Pariksha Aur Dhatutpatti
Author(s): Thakkar Feru, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Jain Shastra Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 72
________________ १२ धातूत्पत्तिः अथ करणीयमाहपित्तलि जहा-- वे मण अ(?)धावटियं कुट्टिवि रंधिज्ज गुडमणेगेण । जं जायइ निच्चीढं तयद्ध तंवय सहा कढियं ।।६।। सा बीस विसुव पित्तल दुभाय तंबेण पनर विसुवा य । तुल्लेण तंबयाओ सवाइया ढक्क मूसीहि ॥७॥ तम्बय जहा बब्वेरय खाणोओ आणवि कुट्टिज धाहु मट्टी य । गोमय सहियं पिडिय करेवि सुक्कवि य पइयव्यं ।।८।। पच्छा खुड्डइ खिवियं धमिज्ज नीसरई सव्व मलकडं । जं हिठे रहइ दलं तं पुण कुट्टै वि धमियव्वं ॥९।। तस्साउ वहइ पयरं तं तंबमिट्टयं वियाणेह । वुड्डाणए पुणेवं गुह्र गुलियं तओ हवइ ।।१०॥ प्रथ सीसयं जहा ना (न) गखाणोओ पाहण कढिवि कुट्ट वि पोसि धोइज्जा । जं होइ तं मलदलं दुभाय तइयंस लोहजुयं ।।११।। सय सय पलस्स मूसी ते चाडिवि तीस अंगए इक्के । आवट्टिय तुल्लेणं चउत्थभागूण हुइ सीसं ॥१२।। ६. पीतल-दो मन घावड़िया गूंद कट कर एक मन गुड़ के साथ रांधना । जब गाढ़ा (निच्चीढ़ = निपट चोढ़ा, रेवड़ो को चासनी या रबड़ को भाँति) हो जाय उससे आधे तांबे के साथ गलाना । ( विधि अन्वेषणीय है।) ७. वह बीस विसवा पीतल होगा, यदि तांबा दो भाग दोगे तो पन्द्रह विसवा पीतल होगा। बराबर तांबा देने से सवाया । मूस या घरिया को ढंक कर गलाना चाहिये। ८. तांबा-बबेरा की खान में से धातु मिट्टो को लाकर कुटना फिर गोबर के साथ पिण्ड करके सुखा कर जलाना चाहिये। ९. पोछे कुडी (भठ्ठी) में डालकर फूंकने से सारा मैल साफ हो जायगा। जो दल (मोटी गिट्टी या चूरा) नीचे रह जाय उसे पुनः कूट कर धमन करना चाहिए। १०. उसका पत्तर (पयर = प्रतर) बना लिया जाय तो उसे अच्छा (मष्ट) तामा समनो। पीट कर बढ़ाये हुए उन पत्तरों को सोधने से (पुणेवं) उसको गला कर गुट्टिका या गुल्ली बना ली जाती है। ११-१२. शोसा-नाग की खान के पत्थर को निकाल कर कूट पीस कर धोना । जो बना वह उसका मलयुक्त चूरा हुआ। उसको दो भाग तनीयांग लोहे के साथ सौ-सौ पन की मूस में चढ़ाकर बराबर बोटाने से चतुर्थ भाग शीसा होता है Aho! Shrutgyanam

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