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द्रव्यपरीक्षा काल्हणी तह नसीरी' दक्कारी सत्त छ पण ७।६।५ टंक कणो। सगयालीस पचासं पणपन्ना कमिण टंकिक्के ।।१३०॥ सत्तावीस गया सी दुति हिय सयमज्झि १०२।१०३ टंक दस रुप्पं । मउजी' सइ पण तोला समसी हुय रुप्प टंका य॥१३१॥ जल्लाली तह रुकुणी' सड्डा पण टंक रुप्पु सय मज्झे । मुल्लं सवाउ दम्मं लहंति वटंति विवहारे ॥१३२।। अन्नन देससंभव अमणिय नामाइं जं जि मुहाई। ते पनरह गुण सीसइ सोहिवि कणु मुल्लु नज्जेइ(२५) ॥१३३॥ (२५) प्रति नामानि मुद्रानां सत १ मध्ये रूप्य तोला मासा
२१ सूजा नाम मुद्रा सत १ , , ४ ८ २१ सहावदीनी मुद्रा सत १ , २१ महमूदसाही मुद्रा सत १ , , ४ ८ २१ चउकडीया मुद्रा सत १ , १६ कटका नाम मुद्रा सत १ ,,
१३०. काल्हणी मुद्रा में सात टांक अर्थात् दो तोला चार मासा चांदी और एक टंके को संतालीस के भाव है। दिल्ली-टंकसाल की नसीरी (नासिरुद्दीन महम्मद सन १२४६६६) मुद्रा में छ: टांक अर्थात दो तोला चाँदी है और पचास प्रति एक टंका मूल्य है। दक्कारी-दकरी नामक मुद्रा में पांच टांक अर्थात् एक तोला आठ मासा चाँदी एवं प्रति टंका पचपन के भाव है।
१३१. गयासी-दुगानी मुद्रा एक सौ दो तीन में दस टांक अर्थात् तोन तोला चार मासा चांदी और सताईस मुद्रा प्रति टंका के भाव है। मउजी तिगानी-तिगानी मुद्रा में प्रतिशत पांच तोला और मूल्य, समसी का भी, बीस टंका है।
१३२. जलाली और रुकुनी नामक (वर्तमान) मुद्राओं में प्रतिशत साढ़े पांच टांक अर्थात एक तोला दस मासा चाँदो है और दोनों व्यवहार में प्रचलित हैं। मूल्य सवा दम्म प्राप्त होता है । (कोष्टक में अड़तालीस का भाव लिखा है ।)
१३३. अन्यान्य देशों में बनी हुई अज्ञात नाम वाली जो मुद्राएं हों, उन्हें पन्द्रह गने सीसे के साथ शोध करके चांदी का मूल्य जानना चाहिए ।
१. नासिरुद्दीन महम्मद (सन् १२४६-६६) की मुद्रा अदल नासिरी कहलाती थी। २. गयासुद्दीन बलवन (सन् १२६६-८७)
मौजुद्दीन (सन् १२८७-९०) शमसुद्दीन (सन् १२९०), इनकी मुदा अल्प राज्यकाल में बनी होगी जिनका मुल्य 'मउजी' के तुल्य था। जलालुद्दीन खिलजी (सन् १२९०.९६) रुकुनुद्दोन इब्राहिम (जलालुद्दीन का पुत्र सन् १२९६) १ रुकुनी = १३, ४८ रुकुनी = ६० दाम = १ टंका
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