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द्रव्यपरीक्षा बत्तीसं कणयमया रुप्यमया वीस दम्म सत्तविहा। चउविह तंबय साहा मुद्दा सव्वेवि तेसट्ठी ।।१४०॥दा।। इग पण दह तोलाइं दस हिय जा सउ दिवड्ढ सउ दु सयं । इय वट्ट हेम टंका चउरंस पुणोवि एमेव ।।१४१॥ तेरह मासा सतिहा सुवन्न टंको य सोनिया तिविहा । इग मासिया दुमासिय चउगुंजा एय बत्तीसं ॥१४२।।
॥ इति स्वर्ण मुद्राः(२८)। (२८) कनक मुद्रा ३२ यथा
२९ टंका नानाविधा तोलो यथा१४ वृत्ताकार नाना तो. तो
१ ५ १० २० ३० ४० ५० ६० ७० ८०
९० १०० १५० २०० १४ चतुः कोण तोल्ये वृत्ताकार वत् निश्चित ।
१ मासा १३ 5 संवृत्ताकारु ३ अपर नाना वृत्त लघु मुद्रा :___ १ मासा १ । १ मा० २। १ गुं• ४
१४०. सोने को बत्तीस, चाँदी की बीस, सात प्रकार के द्रम्म, चार प्रकार की तांबे की साहा मुद्रा- सब मिलाकर तेसठ हुई।
१४१. एक. पाँच, दस और आगे दस-दस बढ़ाते हुए यावत सी, डेढ सौ. दो सौ तोला सोने की गोल मुद्रा और इसी प्रकार चौरस मुद्राएं भी होती है।
१४२. तेरह मासे का अर्थात एक तोला एक सत्रिधा मासा का स्वर्ण टका गोल होता है और छोटी मोनैया मद्रा एक मासा, दो मासा और चार गुंजा-तीन प्रकार की होती है। इस प्रकार बत्तीस प्रकार की स्वर्ण मुद्राएं हुई।।
स्वर्ण मुद्रा समाप्त हुई। अलाउद्दीन के उत्तराधिकारी-१ खिज्रखा, बड़ा पुत्र २ मुबारकखाँ ३ शादीखाँ ४ शाहाबुद्दीन उमर मलिक काफूर, सेनापति;
अलाउद्दीन की मृत्यु के ३७ दिन बाद मलिक काफूर मार डाला गया। शहाबुद्दीन उमर तीन महीने सात दिन बादशाह रहा। मलिक काफूर को मृत्यु के दो महीने बाद शहाबुद्दीन को भी मुबारक ने अन्धा बना दिया। शादीखां और खिज्रखां को भी अन्धे बना दिए।
__ सं० १३७५ वै० कृ०८ को महत्तियाण ठ. अचलसिंह ने सुलतान कुतुबद्दीन के फरमानपूर्वक कलिकाल केवली श्री जिनचंद्रसूरि जी के सानिध्य में हस्तिनापुर-मथुरादि यात्रार्थ
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