Book Title: Dravya Pariksha Aur Dhatutpatti
Author(s): Thakkar Feru, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Jain Shastra Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 45
________________ द्रव्यपरीक्षा अथ मुद्रा यथा सवा इगवन्न दम्मिहि पुत्तलिया खीमलीय चउतीसे । तोला इक्कु कजानिय बावनि आदनिय इगवन्ने ॥५१॥ रीणी जे मुद्दालग स तिहा गुणचासि तोलओ तेवि । सड्डयाल रूवाई खुराजमो सड्ढ पंचासे ॥५२।। वालिट्ट पाउ अोवम रुप्पमया तिनि होति तिहु तुल्ले । सठ्ठ सउ असी चता तोला इक्को य वावन्नो ॥५३॥ सिरि देवगिरि उवन्नो सिंघणु तुल्लेण मासओ इक्को। सतरह विसुवा सड्ढा रुप्पउ ताराय मासद्धो ॥५४॥ अन्नं जं जि करारिय खट्टालग नरहड़ाइ रीणीय । तहं सयल दिट्ठि मुल्लु अहवा चासणिय अग्गिमुहे ॥५५॥ ॥ इति रूप्यमुद्रा(') ॥ (१) पूतली खीमली कजानी आदनी रीणी मुद्रा रुवाई खुराजमी वालिष्ट जि ३ ५१॥ ४८॥ ५०॥ प्रति ५२ १६० वा०१ पा०१ ४० वा०१ सीघण मुद्रा 5०४ तारा मा० ॥७०२ रीणी खटियालग नरहड़ादि करारी एते दृष्टि अथवा चासनी प्रमाणे मूल्यं ।* ५१. पुतली मुद्रा के ५.१। द्रंम, खोमली के चौतीस, एक तोलेवाली कजानी के बावन और आदनी मुद्रा का इक्कावन द्रम है। ५२. रोणी मुद्रा के ४९३, रूवाई के ४८२ खुराजमी के ५० द्रम्म है ; वे तोले वाली है। * मेरी कापी में इसके बाद-गारी तोला १जै ४९" लिखा है जो मुद्रित में नहीं है। हा Aho! Shrutgyanam

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