Book Title: Dhaval Jaydhaval Sara
Author(s): Jawaharlal Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 10
________________ पण्डित जी एवं धवल, जयधवल तथा महाधवल का वर्ण्य विषय एवं सार. स्व. पं. फूलचन्द्र सि. शास्त्री व्यक्तित्व/कृतित्व o v जीवन-झांकी एवं व्यक्तित्व - १. जन्म - वैशाख कृष्णा ४, वि.सं. १९५८, ईस्वी का दिनांक : ११-४-१९०१ ई. । २. जन्म स्थान - सिलावन (बुन्देलखण्ड), यह गांव ललितपुर से १६ कि.मी. दूर है। ३. पितृ-नाम - सिंघई दरयावलाल जी, वंश - बरया ४. मातृ-नाम - जानकी बाई ५.. पत्नी का नाम - पुतली बाई ६. गुरु (शिक्षा गुरु) - पं. देवकीनन्दन जी सि. शास्त्री, पं. बंशीधर जी न्यायालंकार, पं. _____ माणिकचन्द्र जी कौन्देय न्याया, पूज्य गणेशप्रसाद जी वर्णी आदि अध्ययन - न्याय साहित्य सिद्धान्तशास्त्री तक । व्याकरण में मध्यमा। पण्डित जी के पुत्र - एकमात्र प्रो. डॉ० अशोक जैन, पुत्रवधू नीरजा (एम.एस.सी.), पुत्रियाँ - डॉ० शांति जैन, श्रीमती सुशीला जैन, श्रीमती पुष्पा जैन ९. पण्डित जी के पौत्र - चि. अनिमेष, चि. नमन १०. पण्डित जी का स्वर्गप्रयाण - ३१-८-९१ ईस्वी : प्रात: १०.३० बजे, रुड़की (हरिद्वार) जीवन-यात्रा - तीन-चार वर्ष की वय में आँखों की पीड़ा । गुर्जर स्त्री गीजरन बाई की सेवा से लाभ । खजूरिया में प्राइमरी पाठशाला में पहली कक्षा तक अध्ययन । कक्षा में सर्वप्रथम श्रेणि से उत्तीर्ण । फिर अपनी मौसी के पुत्र रज्जु लाल बरैया के पास 'तत्त्वार्थसूत्र' पढ़ना सीखा। बंबई में बहिन के यहाँ भक्तामर' पढ़ना सीखा । यह सन् १९१५-१६ की बात है । १६ वर्ष की आयु में सर सेठ सा. के विद्यालय में (इन्दौर) पं. मनोहरलाल जी तथा अमोलकचन्द्र जी के पास एक-डेढ़ वर्ष तक संस्कृत तथा छहढाला पढ़े । इस समय आपकी पोशाक पैण्ट कोट कमीज बेल्ट तथा हाथ में छड़ी थी (अंग्रेज अफसर के समान)। फिर सादमल में पं. घनश्यामदास जी से मध्यमा तक अध्ययन किया । सन् १९२० से ही आपराष्ट्रिय क्षेत्र में आए, स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने लगे। फिर मुरैना में आपने शिक्षा ११. जाव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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