Book Title: Dhaval Jaydhaval Sara
Author(s): Jawaharlal Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 13
________________ ६. सन पं. फूलचन्द्रशास्त्री व्याख्यानमाला के तत्कालीन राज्यपाल डॉ० अनन्त शयनम अयंगार द्वारा “सिद्धान्ताचार्य" की उपाधि प्रदान की गई। सन् १९७४ में भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण-महोत्सव पर वीर-निर्वाण भारती द्वारा तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ० वी.डी. जत्ती के करकमलों से "सिद्धान्तरत्न" की उपाधि प्रदान की गई। ' सन् १९८७ में अखिल भारतवर्षीय दि. जैन महासंघ द्वारा श्री महावीरजी में चांदी का प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया। प्रथम राष्ट्रीय प्राकृत सम्मेलन, बैंगलोर, १९९० के अवसर पर प्राकृत ज्ञान भारतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। अखिल भारतवर्षीय मुमुक्षु समाज द्वारा जयपुर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा १९९० के अवसर पर एक लाख रुपए की राशि से सम्मानित किया गया। सन् १९८५ में १०८ आचार्य श्री विद्यानन्द जी महाराज के सान्निध्य में आयोजित एक समारोह में एक बृहद् अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट कर सम्मान किया गया। संस्थापित संस्थाएँ १. अन्यतम संस्थापक तथा कार्यकारी प्रथम संयुक्त मंत्री, १९४४ अखिल भारत वर्षीय दि. जैन विद्वत् परिषद संस्थापक सदस्य एवं मंत्री, १९४६, श्री सन्मति जैन निकेतन, नरिया, वाराणसी संस्थापक सं. मंत्री एवं ग्रन्थमालासंपादक, १९४४, श्री गणेश प्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी-५ संस्थापक एवं सदस्य, १९४६, श्री गणेशवर्णी दिगम्बर जैन इंटर कॉलेज, ललितपुर, उ.प्र. ५. अध्यक्ष, १९५५, अखिल भारतवर्षीय दि. जैन विद्वत् परिषद, द्रोणगिरि ६. संस्थापक, १९७१, श्री गणेशवर्णी दि. जैन (शोध) संस्थान, नरिया, वाराणसी-५ संपादित पत्रिकाएँ :१. शान्ति-सिन्धु - आचार्य शान्ति सागर सरस्वती भवन, नातेपुते (सोलापुर), सन् १९३५-३७ २. ज्ञानोदय - भारतीय ज्ञानपीठ, सन् १९४९-५२ वाराणसी, १९४९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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