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श्रावकों को सत्कथा निरंतर श्रवण करने को मिले इस लिये गणधर भगवतों ने प्रभु के पास जो जो वचन सुनेथे उनमें महान पुरुष के चरित्रों को भी सूत्रों में लिखे हैं ज्ञातासूत्र कथाओं से विभूषित है साथ साथ इस दृष्टांत का सार लेना भी बताया है विपाक सूत्र में धर्मी और पापियों के १०-१० दृष्ठां त बता कर पुण्य पाप के यहां पर बा दूसरे भव में क्या फल भोगने पड़ते हैं वो अच्छी तरह बताये हैं रायपसेणी सूत्र में सूर्याभ देव का दृष्टांत बता कर उसका तीन भव का वर्णन बताया है धर्मोपदेश के मुख्य अधिकारी साधु होने से वे साधु गांव २ शहर २ फिर कर धर्म सुनाते हैं। __इनकी गेरहाजरी में उत्तम श्रावक भी धर्मोपदेश के ग्रंथ सुना सके इस लिये अनेक चरित्र वा रास भी बनाए हैं आंबिल की ओली में श्रीपाल चरि त्र सुनाते हैं जिसमें मयणा सुंदरी ने कोढिया पति का भी सम्मान कर सतित्व पाल कर धर्म के प्रताप से पति को निरोगी बनाकर पति को धर्म में जोड़ कर उसका बापका राज्य पुनः दिला दिया है, और जिसने अपने पापको भी अपने उत्तम वर्ताव से चकित किया है उन बातों से चाहे ऐसा कठोर हृदय बाला पुरुष वा स्त्री भी धर्मी हो जाते हैं इस लिये ऐसे उत्तम कथा के ग्रंथ रत्न रूप होने से उनकी बहु मान्यता कर जो पढते हैं वा सुनते हैं वे ही धर्मभागी हो सक्ते हैं क्योंकि उनके विवेक चक्षु खुल जाते हैं।
(१४ ) सुपक्षयुक्त __धर्म रक्त सदाचारी परिवार वाला पुरुष विना विघ्न धर्मपाल सका है
और उसे धर्म कार्यमें उसका परिवार सहायक होने से अच्छी तरह आराधना होने से मुक्ति तक पहुंच सक्ता है।
अर्थात् घर में नोकर भी सदाचारी होना चाहिये और अपने लडके लडकी का संबंध भी सदाचार धर्मात्मा गृहस्थाओं के लड़की लड़के के साथ करना चाहिये कि पीछे पश्चात्ताप करना न पड़े।
. पुंड वर्धन नगर में दिवा कर सेठ रहता था उनकी भार्या. ज्योतिमति से प्रभाकर पुत्र हुआ उनका धर्म बुद्ध का बताया हुआ था जिनमें मॉस